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अश्लील वीडियो बनाने और पॉर्न साइट पर डालने का खतरनाक खेल

ऐसे मामलों के शिकार लोग मानसिक प्रताड़ना का शिकार भी हो रहे हैं.

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हार्दिक पटेल की कथित सेक्स सीडी के आने के बाद एक बार फिर से इस बात पर चर्चा होने लगी है कि इस तरह की सीडी बनती कैसे हैं? और इनका इतनी आसानी से प्रसार कैसे हो जाता है. कहीं इस तरह की घटनाओं के पीछे ब्लैकमेल की भावना तो काम नहीं कर ही है?

ब्लैकमेल और बदला लेने के लिए पॉर्न का इस्तेमाल एक महामारी जैसा बनता जा रहा है. दिल्ली, मुंबई से लेकर बेंग्लुरु और दूसरे शहरों में अंतरंग संबंधों वाले निजी फोटे और वीडियो सोशल मीडिया या पॉर्न साइट में डालकर बदला लेने के ढेरों मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे मामलों के शिकार लोग मानसिक प्रताड़ना का शिकार भी हो रहे हैं.

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अंतरंग वीडियो को अश्लील बनाया गया

कभी किसी बॉयफ्रेंड ने संबंध खत्म होने के बाद वीडियो और तस्वीरें एडल्ट वेबसाइट में पोस्ट कर दिए तो कभी किसी सहयोगी ने आपत्तिजनक स्थिति को कैमरे में कैद कर लिया. इन दोनों मामलों में पुलिस को रिपोर्ट तो हुई पर दोबारा अपने साथियों से शर्मिंदगी के डर से पीड़ितों ने या तो नौकरी बदल ली या इलाका ही छोड़ दिया.

बदला और ब्लैकमेल का आपराधिक कॉकटेल

इंतकाम के लिए अंतरंग संबंधों को उजागर करने का खेल दो तरह से चल रहा है. एक तो ब्लैकमेल करने के लिए जानबूझकर जाल बिछाकर शिकार बनाया जाता है. दूसरा कभी दोस्त रहे साथी रिश्ते टूटने पर बदला लेने के लिए यह करते हैं.

पश्चिमी देशों का ये ट्रेंड जिस तेजी से भारत में पांव पसार रहा है उसने साइबर पुलिस का भी काम बहुत बढ़ा दिया है.

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रिवेंज (बदला) पॉर्न वेबासाइट बड़ी मुसीबत

दुनियाभर में इस तरह अश्लील वीडियो पोस्ट करके बदला लेने या ब्लैकमेल करने की करीब 3000 पॉर्न वेबसाइट हैं. साइबर एंड लॉ फाउंडेशन के 2016 के एक सर्वे के मुताबिक 13 से 45 साल के बहुत से इंटरनेट यूजर्स इनके दुरुपयोग का शिकार हो रहे हैं.

साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसी वीडियो का भारत और विदेशों में बहुत बड़ा बाजार है. अश्लील क्लिप का इस्तेमाल फिरौती वसूलने या सेक्स के लिए ब्लैकमेल करने में किया जाता है.

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक बदनामी के डर से ज्यादातर मामलों के शिकार पुलिस में शिकायत नहीं करते. जानकारों के मुताबिक इस मामले में पुलिस और लोगों को संवेदनशील और जागरूक बनाना सबसे बड़ी चुनौती है.

लोगों को इंटरनेट में होने वाले ऐसे खतरनाक षड़यंत्रों के बारे में मालूम होगा तो पीड़ित की दिक्कतों को वो अच्छे से समझ सकेंगे.

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कड़ा कानून है बस अमल की जरूरत

कानूनी जानकारों के मुताबिक इस तरह के मामलों में कानून एकदम स्पष्ट है. निजता का उल्लघंन आईटी एक्ट के तहत अपराध है और इसमें कड़ी सजा का प्रावधान है.

रिवेंज पॉर्न से निपटने के लिए फेसबुक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है. उसने अपने यूजर्स से कहा है कि अगर उन्हें अपने कोई न्यूड फोटो या वीडियो लीक होने का खतरा हो तो वो ऐसे फोटो सीधे उन्हें भेजें. फेसबुक के मुताबिक वो इन फोटो और वीडियो में ऐसा डिजिटल स्टैंप लगाएगी जिससे इन्हें लीक होने से पहली ही रोका जा सके.

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फेसबुक कैसे रोकेगा ब्लैकमेल पॉर्न

ऐसे यूजर्स जिनके न्यूड और अंतरंग संबंधों के वीडियो या फोटो उनके पार्टनर के पास भी हों. ऐसे लोगों को अगर आशंका हो कि उनकी मर्जी के बगैर पुराना प्रेमी, फोटो या वीडियो फेसबुक के जरिए शेयर कर सकता है. ऐसे लोग मैसेंजर के जरिए इन फोटो और वीडियो को हैसटेग करने का संदेश भेज दें.

इसका मतलब है कि कंपनी इन फोटो को यूनीक डिजिटल प्रिंट में कन्वर्ट कर देगी. फिंगर प्रिंट के जरिए किसी फोटो को अपलोड नहीं किया जा सकेगा.

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ऑस्ट्रेलिया में फेसबुक ने न्यूड फोटो मंगाए

अभी फेसबुक ऑस्ट्रेलिया की सरकारी एजेंसी के साथ मिलकर इस टेक्नोलॉजी का पायलट प्रोजेक्ट चला रहा है. इस प्रोजेक्ट के मुताबिक यूजर्स को ई-सेफ्टी कमिश्नर की वेबसाइट में जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरकर अपनी फिक्र बतानी होगी. फिर फेसकबुक मैसेंजर से उन्हें फेसबुक की सिक्योर आईडी पर ऐसे फोटो या वीडियो भेजने को कहा जाएगा जिनका दुरुपयोग होने की आशंका हो.

उधर ई सेफ्टी कमिश्नर अपनी रिपोर्ट फेसबुक को दे देगा. फेसबुक को जैसे ही नोटिफिकेशन मिलेगा एक एनालिस्ट इन इमेज को हैश कर देगा जिससे आगे अपलोड और शेयरिंग रोका जा सके.

फेकसुबक के मुताबिक इन फोटो को कुछ दिनों तक स्टोर करने के बाद डिलीट कर दिया जाएगा.

फेसबुक और दूसरी टेक्नोलॉजी कंपनियां अभी इस तरह की फोटो मैचिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल चाइल्ड पॉर्न और दूसरी हिंसक फोटो को ब्लॉक करने के लिए किया जाता है.
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फोटो डीएनए हैश(#)

इस टेक्नोलॉजी के जरिए अवैध फोटो की पहचान हो जाती है. अगर फोटो के साथ कोई छेड़छाड़ हुई है तो भी आपत्तिजनक फोटो को पकड़ा जा सकता है. फेसबुक, ट्विटर और गूगल इसका इस्तेमाल करते हैं.

आगे फेसबुक का इरादा जल्द ही अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में भी इसी तरह का प्रोजेक्ट शुरू करने का इरादा है.

हालांकि कुछ एक्सपर्ट ने इस तरीके से फेसबुक में भेजी जाने वाली फोटो के दुरुपयोग का भी खतरा बताया है. लेकिन फेसबुक के मुताबिक ये तरीका काफी हद तक सुरक्षित होगा.

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