ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी ने राजनीतिक विज्ञापन को लेकर बड़ा ऐलान किया है. सोशल मीडिया के राजनीतिक इस्तेमाल और वोटरों पर पड़ने वाले असर को देखते हुए ट्विटर ने फैसला किया है कि उसके प्लेटफॉर्म पर अब राजनीतिक विज्ञापन नजर नहीं आएंगे.
ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी ने ट्वीट कर इस बात का ऐलान किया है. ट्विटर का कहना है कि कुछ लोग ट्विटर का इस्तेमाल गलत जानकारी फैलाने के लिए करते हैं, जिसकी वजह से बैन लगाना जरूरी हो गया है.
ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी ने ट्वीट कर कहा,
हमने ट्विटर पर सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापनों पर बैन लगा दिया है. हमारा मानना है कि राजनीतिक संदेश अर्जित किए जाने चाहिए, खरीदे नहीं. एक राजनीतिक संदेश लोगों को तक तब पहुंचता है जब वो किसी अकाउंट का फॉलो या रिट्वीट करने का फैसला लेते हैं. ऐसे में लोगों तक पहुंचने के लिए भुगतान करना उस लोगों के फैसले लेने की सोच को ही कम कर देता है, लोगों को मजबूर करता है कि वो ऐसे ऑपटिमाइज और राजनीतिक संदेशों को देखें. हमारा मानना है कि इस फैसले को पैसे से समझौता करके नहीं किया जाना चाहिए. जबकि कमर्शियल एडवर्टाइजर के लिए इंटरनेट विज्ञापन अविश्वसनीय रूप से शक्तिशाली और बहुत प्रभावी है, लेकिन यह शक्ति राजनीति में महत्वपूर्ण जोखिम लाती है, जहां इसका इस्तेमाल लाखों लोगों के जिंदगी को प्रभावित करने के लिए, वोटों पर असर डालने के लिए किया जा सकता है.’’
बता दें कि जैक डॉर्सी के इस ट्वीट से भारत ही नहीं दुनियाभर के राजनीतिक प्रचार पर असर डालेगा. क्योंकि कई राजनीतिक दल चुनाव से पहले ट्विटर के जरिए राजनीतिक प्रचार करते रहे हैं.
“इंटरनेट विज्ञापन वोटों पर असर डालता है”
सीईओ जैक डॉर्सी ने लिखा है,
हम अच्छी तरह से जानते हैं कि हम एक बहुत बड़े राजनीतिक विज्ञापन इकोसिस्टम का एक छोटा सा हिस्सा हैं. कुछ लोग हमारे काम पर बहस कर सकते हैं, लेकिन हमने देखा है कि कई सामाजिक आंदोलन बिना किसी राजनीतिक विज्ञापन के बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचते हैं.
डॉर्सी ने कहा कि इस तरह की चुनौतियां न सिर्फ पॉलिटिकल विज्ञापन, बल्कि हर तरह के इंटरनेट कम्यूनिकेशन को प्रभावित कर रही हैं.
साथ ही डॉर्सी ने यह भी कहा कि कंपनी इस फैसले को लेकर फाइनल पॉलिसी 15 नवंबर तक जारी कर देगी. इस फैसले को 22 नवंबर से लागू कर दिया जाएगा. इसे लागू करने से पहले विज्ञापनदाताओं को नोटिस पीरियड भी दिया जाएगा.
उन्होंने आखिरी में कहा, “एक आखिरी बात, यह फैसला अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में नहीं है. यह लोगों तक पहुंचने के लिए पैसे खर्च करने और भुगतान करने के बारे में है.”
बता दें कि फेसबुक से लेकर ट्विटर पर राजनीतिक विज्ञापनों के जरिए चुनाव प्रभावित करने का औरोप लगचा रहा है. ऐसे में ट्विटर के इस फैसले से राजनीतिक पार्टियों पर बड़ा असर पड़ सकता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)