ADVERTISEMENTREMOVE AD

उनका रंग देखकर पीटने वालों को क्‍या इंसान कहलाने का हक है?

वसुधैव कंटुबकम्, अतिथि देवो भव तो हम कहेंगे, लेकिन अगर वो अफ्रीका, नाइरिया से हुआ तो उसको पीटेंगे.

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अक्सर डेविल, नीग्रो, शैतान, यही बुलाते हैं आप इन्हें. वही जो आपके हमारे जैसे जीते-जागते इंसान हैं, पर उनका रंग काला है.

गजब का चश्मा पहनते हैं आप. गोरों का राज भूल गए क्या, 200 साल गुलामी की जंजीरों में दम घुटता रहा हमारा, लेकिन रंग पर भेदभाव, नस्लवाद की गंदी होड़ में हम पीछे नहीं है.

यूपी के ग्रेटर नोएडा में एक स्टूडेंट की ड्रग्स ओवरडोज से मौत हो गई. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया था कि नाइजीरिया के नागरिक यहां ड्रग्स का कारोबार फैला रहे हैं और उन्होंने उस 17 साल के लड़के को नशीला पदार्थ खिलाने की कोशिश की, जिससे उसकी मौत हो गई.

विरोध में नाइजीरियाई नागरिकों को ग्रेटर नोएडा से बाहर निकालने की मांग करते हुए एक मार्च आयोजित किया था. इसी दौरान मार्च में शामिल कुछ लोगों ने एक मॉल के पास मौजूद तीन नाइजीरियाई नागरिकों पर हमला कर उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया था.

लेकिन सिर्फ अफवाह के बहाने अफ्रीकी छात्र की इतनी बर्बरता से पिटाई क्यों हुई?

वसुधैव कुटुंबकम (पूरी पृथ्वी अपना एक परिवार है), अतिथि देवो भव (मेहमान भगवान होते हैं) तो हम कहेंगे, लेकिन अगर वो अफ्रीका, नाइजीरिया से हुआ तो उसको पीटेंगे.

क्यों? क्योंकि ये भीड़ अब पुलिस से नहीं डरती. खुद ही फैसले लेती है. रूप-रंग, कद-काठी देखकर अपराध तय करती है और फिर ऑन द स्पॉट हम सबको शर्मसार करती है.

और फिर दामन के दाग धोने के लिए पुलिस के पास स्पेशल डिटर्जेंट है. नस्लवाद पर पानी डाल दिया जाता है और इसे भीड़ के गुस्से का रंग दे दिया जाता है.

विदेश में किसी भारतीय के साथ गलत होता है, तो कोसने में कोई कोर- कसर नहीं छोड़ते.

विदेश मंत्रालय के ट्विटर अकाउंट पर भी आपको अपार प्रेम और भाईचारा दिखेगा. लेकिन ये मारपीट वाली घटना एक के बाद एक होती रहती हैं. मामले दर्ज होते हैं दफन हो जाते हैं. हेलमेट न पहनो तो लाॅ एंड आॅर्डर सामने आ जाता है. लेकिन ये घटनाएं पुलिस को सामने हो जाती हैं और हम ये जान ही नहीं पाते कि पुलिस किसकी सुरक्षा में खड़ी है.

और हां उन्हें डेविल, नीग्रो, शैतान बुलाना छोड़ खुद को इंसान कहने लायक बनिए!

WhatsApp के जरिये द क्‍व‍िंट से जुड़ि‍ए. टाइप करें “JOIN” और 9910181818 पर भेजें

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×