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सरकार, आपके PINK को लेकर महिलाएं लाल हैं, उनके मुद्दे सुलझाइए

महिलाओं के लिए हर पहल पिंक रंग में क्यों रंगी जा रही है?

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वीडियो एडिटर- प्रशांत चौहान

वीडियो प्रोड्यूसर- शॉरबॉरी पुरकायस्थ

पिंक गुब्बारे, पिंक टेबलक्लोथ, पिंक दीवारें, पिंक टेडी बियर. लिस्ट काफी लंबी है.

अब कर्नाटक चुनाव से पहले, चुनाव आयोग ने कहा है कि वो जगह-जगह खास पिंक पोलिंग बूथ बनाएगा. मकसद होगा, जीहां, ठीक समझे, महिलाओं को बूथ तक लाना. राज्य भर में ऐसे करीब 450 बूथ होंगे. आयोग को लगता है कि पिंक बूथ होने से महिलाएं खिंची चली आएंगी!

लेकिन जब महिलाओं के लिए वाकई कोई विकास न हो रहा हो तो क्या इस सबका कोई मतलब भी है? कतई नहीं.

महिलाओं के लिए की जाने वाली हर पहल को पिंक रंग में रंग देना फैशन में है. लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम इसका सही मतलब समझें. सच पूछिए तो ये तिकड़मबाजी से ज्यादा कुछ नहीं.

पिंक ऑटो आ गए, मेट्रो पिंक हो गई, यहां तक कि मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, पिंक इकनॉमिक सर्वे 2018 तक ले आए.

लेकिन जरा सोचिए, इन ढकोसलों से दूर महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दों पर, उनके खिलाफ बढ़ते अपराधों के बारे में, संसद में लंबे वक्त से लटके महिला आरक्षण बिल के बारे में.

जाहिर है, इस सब की अनदेखी नहीं की जा सकती. तो, प्रिय मंत्रियों और सरकारी संस्थाओं, हर पहल को पिंक में रंग कर, महिलाओं की इंटेलिजेंस का अपमान बंद करें. कुछ असल मुद्दों पर फोकस करें और हमारे वोट की सही कीमत अदा करें.

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