सरकारी बैंकों में भारी मात्रा में पूंजी लगाने की घोषणा के एक दिन बाद बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इससे स्थिति में सुधार होगा.
जेटली ने कहा, "मैं समझता हूं कि इससे बैंकों की स्थिति में सुधार होगा. देश की अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में कोई भी दिन आसान नहीं होता है और ये मैं पिछले साढ़े तीन सालों के अनुभव के आधार पर कह रहा हूं. हम एक के बाद एक लगातार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. स्थिति को देखते हुए हमने कई कदम उठाए हैं, सुधार के कई कदम उठाए हैं, जिसमें से कुछ के अच्छे नतीजे मिले हैं."
बैंकों को दिए गए प्रोत्साहन पैकेज का लक्ष्य आर्थिक विकास में वृद्धि करना, नौकरियां पैदा करना और बैंकों की कर्ज देने की क्षमता को बरकरार रखना है.अरुण जेटली, वित्त मंत्री
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को सरकारी बैंकों को 2.11 लाख करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी. इसके अलावा अगले पांच सालों में सड़क निर्माण में 6.92 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा.
बैकों के कर्ज के बारे में जेटली ने कहा कि जब अर्थव्यवस्था उफान पर थी, तो कल की परवाह किए बिना और 'जोखिम के कारकों को ध्यान में रखे बिना' कर्ज बांटे गए. पुर्नपूजीकरण के बाद कई तरह के बैंकिंग सुधार किए जाएंगे, जिसे अंतिम रूप दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा, "मैं आश्वस्त हूं कि बैंकों को यह धन मिलने के बाद उनकी कर्ज देने की क्षमता में सुधार होगा और हमारी प्राथमिकता है कि कर्ज देने में एसएमई (छोटे और मझोले उद्योग) को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. क्योंकि बड़े कारोबार वैश्विक वित्त पोषण का भी सहारा ले सकते हैं."
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