ADVERTISEMENTREMOVE AD

असम: भीड़ ने कानून अपने हाथ लिया और इन्होंने अपने दोस्त खो दिए

करीबियों को ये दर्द इसलिए सहना पड़ रहा है क्योंकि खून की प्यासी भीड़ ने अपने हाथों में कानून लेने का फैसला किया था.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

भीड़ ने इतनी बेरहमी से पीट पीटकर दो युवाओं को मार दिया कि उस दुख से असम उबर ही नहीं पा रहा है. इनके दोस्त और करीबी रिश्तेदारों को यकीन ही नहीं हो रहा है कि अपने ही राज्य के लोग जान के दुश्मन क्यों बन गए.

8 जून को 30 साल के अभिजीत अपने म्यूजिशन दोस्त नीलोत्पल दास (29 साल) के साथ असम के कारबी आंगलांग जिले में घूमने निकले थे. लेकिन दोनों को स्थानीय ग्रामीणों की भीड़ ने बच्चे उठाने वाला समझकर घेर लिया. पंजुरी कचारी गांव में बांस के डंडों से करीब 200 लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर दोनों की जान ले ली. ये सब वाॅट्सऐप पर सर्कुलेट किए जा रहे एक मैसेज की वजह से हुआ जिसमें बच्चों के किडनैपर्स के इलाके में घूमने की बात कही गई थी.

ये दोनों लड़के हमारे लिए परिवार की तरह थे, दोनों मेरे छोटे भाइयों की तरह थे. मेरा अपना भाई उनका करीबी दोस्त था ... उन्हें म्यूजिक और ट्रैवल में कुछ नया करने का शौक था. नीलोत्पल और अभिजीत दोनों किसी को नुकसान नहीं पहुंचा सकते थे.
कमल साइकिया, अभिजीत और नीलोत्पल के दोस्त

घटना के बाद, 11 जून को, गुवाहाटी प्लेनटेरियम के बाहर करीबी दोस्तों की तरफ से शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन आयोजित किया गया. उसमें बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए. प्रदर्शन में इंसाफ और अपराधियों के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करने की मांग उठी.

नाथ और दास को प्रकृति से बहुत लगाव था, वो संगीत और यात्रा के काफी शौकीन थे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
दोनों के एक और करीबी दोस्त अंकुर साइकिया ने क्विंट को बताया कि उनके दोस्तों के साथ जो सुलूक हुआ, उसे जानकर उनका “खून खौल” उठा. लेकिन इस तरीके को देखने के बावजूद, उन्हें अपने मृत दोस्तों को “न्याय दिलाने” के लिए “धैर्य रखना होगा”.

उन्होंने आगे कहा कि दास, जो पिछले 5 सालों से गोवा में रह रहे थे, बिहू का त्योहार मनाने के लिए हर साल गुवाहाटी आते थे और लगभग 2 महीने म्यूजिक की दुनिया में नए एक्सपेरिमेंट करते थे.

भावुक भास्करज्योति साइकिया ने कहा कि नाथ "अलग" थे और "उनमें वो सब कुछ था जो आप किसी दोस्त से उम्मीद कर सकते थे."

उनके सर्कल की एक और मेंबर रागिनी डुआरा नाथ को याद करती हैं. उन्होंने क्विंट से कहा कि उनसे जुड़ी कई यादें हैं, लेकिन जो उनके साथ रहता है वो ये कि वो अकेला शख्स था जो "उसे टू-व्हीलर सिखाने के लिए तैयार हो गया!"

इन दोस्तों-करीबियों के ये शब्द उनकी दर्दनाक कहानी बयां करती है जो इन लोगों ने सहन किया है. इनकी जिंदगी में नाथ और दास के न होने से ये खालीपन हमेशा बना रहेगा. और ये सबकुछ इन्हें सिर्फ इसलिए सहना पड़ रहा है क्योंकि खून की प्यासी भीड़ ने अपने हाथों में कानून लेने का फैसला किया था.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×