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बोर्ड एग्जाम में न लें टेंशन, इन टिप्स के साथ कूल रहकर करें पढ़ाई

एग्जाम के समय टेंशन लेने के बजाय पूरी नींद और सेहतमंद खाना खाना चाहिए. 

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फिर वो समय आ गया जब स्कूल के बच्चे बहुत सख्ती से अपना टाइमटेबल बनाते हैं, डेडलाइन तैयार करते हैं और पूरा महौल गंभीर बन जाता है. ये समय होता है एग्जाम का. ये टाइम उन बच्चों के लिए और सख्त हो जाता है जो अपना बोर्ड का पेपर दे रहे होते हैं. इस सब में बच्चे खाना नहीं खाते, ठीक से सोते नहीं हैं और तनाव ले लेते हैं. इस दौरान वो कैफीन और जंक फूड भी खाते रहते हैं. इससे बच्चों की तैयारी पर फर्क पड़ता है. लेकिन फिर कैसे सही तैयारी करें और कैसे दिमाग को शांत रखें? यहां आपको मिलेंगे ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब.

1. सेहतमंद खाओ

एग्जाम के दौरान ये बहुत जरूरी है कि जंक फूड को नजरअंदाज किया जाए. ऐसा खाना जो डिब्बाबंद हो, जिसमें फैट ज्यादा हो या जिसमें शुगर हो, इससे आप आलस महसूस करोगे और मूड भी ठीक नहीं रहेगा. इससे अपकी पढ़ाई पर खराब असर पड़ेगा.

एग्जाम के समय टेंशन लेने के बजाय पूरी नींद और सेहतमंद खाना खाना चाहिए. 

जब आप तनाव में हो और आपको भूख लगे तब आप बादाम, बेरी, ताजे फल और सब्जियां खा सकते हैं. इसके अलावा खाने में आप दाल, दलिया और अंडों को भी शामिल कर सकते हैं.

2. भरपूर नींद लें

एग्जाम के समय टेंशन लेने के बजाय पूरी नींद और सेहतमंद खाना खाना चाहिए. 

आखिरी पलों में पढ़ने के लिए नींद पूरी न करने से परेशानी हो सकती हैं. इससे अच्छा है कोई चैप्टर भारी लग रहा है तो उससे पहले नींद पूरी कर लीजिए और फिर तैयारी कीजिए. इसी तरह पेपर देने जाने से पहले वाली रात को भी पूरी नींद ले वरन एग्जाम वाले दिन नींद आएगी और जो पढ़ा है उसे भी ठीक से नहीं लिख पाएंगे. नींद पूरी लेने से तनाव भी कम होगा.

3. बोर्ड < दिमाग की शांति

और आखिर में दिमाग की शांति सबसे ज्यादा काम आएगी. दिमाग की शांति आपके एग्जाम से भी ज्यादा बड़ी है. मैक्स अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग के डॉक्टर समीर मल्होत्रा कहते हैं, प्लान A होना बहुत जरूरी है.

एग्जाम के समय टेंशन लेने के बजाय पूरी नींद और सेहतमंद खाना खाना चाहिए. 
आप क्या चुनते हैं ये आपका फैसला है. प्लान A पर अपनी पूरी मेहनत करो. लेकिन अगर ऐसा संभव न हो पाए तो प्लान B तैयार रखो. कभी कभी प्लान B प्लान A से ज्यादा कारगर साबित होता है.
डॉ. समीर मल्होत्रा

डॉक्टर आगे कहते हैं कि तनाव अगर काफी आगे बढ़ जाता है, जैसे की अगर दिमाग में सुसाइड का खयाल आता है तो काउंसलर की मदद लेनी चाहिए.

हमेशा याद रखो ये आपकी जिंदगी का फाइनल एग्जाम नहीं है. आपके अंदर काफी क्षमता है, जो आपको दिखा सकते हो.
डॉ. समीर मल्होत्रा

आपकी जिंदगी आपके नंबरो से ज्यादा कीमती है. आपके ग्रेड आपको नहीं बतलाते हैं कि आप कौन हैं. हमेश ये मंत्र याद रखो, अपने आप में ये बात दोहराते रहो. एग्जाम की तैयारी के चक्कर में मजे करना मत भूल जाना.

(क्विंट और बिटगिविंग ने मिलकर 8 महीने की रेप पीड़ित बच्ची के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन लॉन्च किया है. 28 जनवरी 2018 को बच्ची का रेप किया गया था. उसे हमने छुटकी नाम दिया है. जब घर में कोई नहीं था,तब 28 साल के चचेरे भाई ने ही छुटकी के साथ रेप किया. तीन  सर्जरी के बाद छुटकी को एम्स से छुट्टी मिल गई है लेकिन उसे अभी और इलाज की जरूरत है ताकि वो पूरी तरह ठीक हो सके. छुटकी के माता-पिता की आमदनी काफी कम है, साथ ही उन्होंने काम पर जाना भी फिलहाल छोड़ रखा है ताकि उसकी देखभाल कर सकें. आप छुटकी के इलाज के खर्च और उसका आने वाला कल संवारने में मदद कर सकते हैं. आपकी छोटी मदद भी बड़ी समझिए. डोनेशन के लिए यहां क्लिक करें.)

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