ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिहार: थाने में लटका मिला नाबालिग का शव, विरोध करने वाले की भी मौत

बिहार के बेगूसराय में अंतरजातिय प्रेम और उसके बाद दो मौत पुलिस के कामकाज पर बड़ा सवाल उठा रही है.

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

एडिटर: विवेक गुप्ता

बिहार के बेगूसराय में अंतरजातीय प्रेम और उसके बाद दो मौत पुलिस के कामकाज पर बड़ा सवाल उठा रही है. बेगूसराय के वीरपुर थाना क्षेत्र के विक्रम पोद्दार पर लड़की को अगवा करने का आरोप लगता है, जिसके बाद पुलिस उसे दिल्ली से बिहार लाती है. लेकिन अगले ही दिन थाना परिसर में लड़के की मौत हो जाती है. लड़के की बॉडी थाने के एक कमरे में फंखे से लटकी मिलती है.

विक्रम पोद्दार की मौत का मामला तूल पकड़ता है, बेगूसराय के समाजिक कार्यकर्ता संतोश कुमार शर्मा उनके लिए आवाज उठाते हैं, लेकिन कुछ दिन बाद संतोष की भी मौत हो जाती है.

संतोष ने पुलिस पर पिटाई का लगाया था आरोप

संतोष ने अपनी मौत से पहले विक्रम के इंसाफ के लिए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा था जिसमें उसने कहा था कि अगर विक्रम को इंसाफ नहीं मिलता है तो वो और उसके साथी लॉकडाउन तोड़कर धरना देंगे. जिसके बाद पुलिस संतोष को हिरासत में ले लेती है.

संतोष ने मरने से पहले अपने एक साथी को फोन पर पुलिस की पिटाई की जानकारी दी. संतोष ने कहा,

विक्रम हत्याकांड में हम आवाज उठाए थे, हम पर पुलिस ने वारंट जारी किया. हम एटीएम से पैसा निकाल कर आ रहे थे. रास्ते से मुझे उठा लिया. 2 घंटे तक हमको मारा. थाने के लॉकअप में नहीं मारा, थाने के पीछे ले गए खींचते हुए जंगल में, हम फेसबुक पर लिखे थे. इसीलिए हमको उठाया...अगर लोग नहीं होते तो छोड़ती नहीं पुलिस. 

हालांकि पुलिस इस पिटाई की बात से इनकार करती है. संतोष के परिवार का आरोप है कि अस्पताल में इलाज भी इसी शर्त पर होने दिया गया कि वो कोई केस ना करे और अपना मुंह ना खोले.

विक्रम के परिवार का आरोप, पुलिस और लड़की के पिता ने मार दिया

विक्रम के भाई बताते हैं, वो दोनों गांव से भागकर दिल्ली आ गए थे. दोनों दिल्ली के श्रीनिवासपुरी में कमरा लेकर रहने लगे. हम लोगों को मालूम नहीं था. पता होता तो कुछ करते, लेकिन गांव से उन लोगों को ढूंढने कुछ लोग आए हुए थे. होली के बाद ये लोग आए. विक्रम के भाई ने आगे बताया,

बिहार पुलिस के साथ आए, इन लोगों ने खोजा तो फिर श्रीनिवासपुरी में मिले. 22 को ये लोग चले गए. 24 मार्च को हंगामा हुआ कि लड़के को मार दिया जाए, घर पर आकर पुलिस ने खबर दी कि विक्रम ने खुदकशी कर ली. लड़की ने बयान बदल दिया इसलिए उनसे खुदकुशी कर ली. लेकिन ऐसा नहीं हो सकता.

बता दें कि इसके चंद रोज बाद संतोष की भी हो मौत गई. संतोष और विक्रम की मौत के बाद दूसरे लोगों को भी धमकी मिल रही है.

इस मामले पर बेगूसराय के एसपी अवकाश कुमार कहते हैं कि अपहरण का केस था, लड़का-लड़की को बरामद कर के लाया गया था. लड़का आरोपी था, पूछताछ में पता चला कि लड़का बालिग नहीं है, तो उसे रखा गया था. लड़की को बयान के लिए ले जाया गया था. जब क्विंट ने एसपी से पूछा कि जब लड़का कस्टडी में था तो फिर वो थाने के स्टाफ रूम में कैसे गया? एसपी अवकाश ने कहा कि वो वॉशरूम के लिए गया और रूम बंद कर के लटक गया. रूम अंदर से बंद था, सब रिकॉर्डिंग है. दरवाजा तोड़कर निकाला गया. स्पेशल टीम को वीडियो रिकॉर्डिंग के जरिए सब दिखाया गया है, ये सुसाइड था, और कुछ नहीं है.

पुलिस की थ्योरी पर सवाल

लेकिन विक्रम का परिवार पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठा रहा है. विक्रम के पिता दुखा पोद्दार का कहना है कि थाने में उनके बच्चे को मार दिया, मारकर उसे रस्सी से लगाकर टांग दिया. उन्होंने कहा,

“पुलिस बोली कि लड़के ने खुदकशी की है. मेरा लड़का आत्महत्या नहीं किया है. उसको मारा गया है. मारकर उसे लटकाया गया है. अगर फांसी लगाता को उसका पांव जमीन में सटा नहीं होता.”

विक्रम का परिवार इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा है. फिलहाल संतोष और विक्रम की मौत में पुलिस किसी भी साजिश से इनकार कर रही है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×