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शेयर बाजार में तेजी का इलेक्शन से कनेक्शन, अब निवेशक क्या करें

बाजार में एक बार फिर तेजी है. इस तेजी में मोदी की वापसी की संभावना कितनी बड़ी वजह है और ग्लोबल फैक्टर कितनी बड़ी?

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम

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चुनाव के पहले शेयर बाजारों में एक बार फिर तेजी है. इस तेजी में पीएम मोदी की वापसी की संभावना कितनी बड़ी वजह है और ग्लोबल फैक्टर कितनी बड़ी? यह समझना जरूरी है. आम तौर पर चुनाव से पहले बाजार तेजी की ओर जाते हैं. कई बार यह तेजी चुनाव के रिजल्ट के बाद ज्यादा होती है. लेकिन इस वक्त यह तेजी चुनाव के बाद वाली तेजी जैसी दिख रही है.

इस तेजी की क्या है वजह?

यह तेजी दो वजहों से हैं.  पहली वजह मोदी सरकार की वापसी की संभावना है.  दूसरा फैक्टर ग्लोबल है. अमेरिकी स्लोडाउन और  ग्लोबल मंदी की वजह से निवेशकों का पैसा भारत आ रहा है.  इमर्जिंग यानी उभरती अर्थव्यवस्था वाले बाजारों में भारत निवेशकों के लिए आकर्षक दिख रहा है.  बाहरी निवेशकों का पैसा ईटीएफ में आ रहा है.लेकिन सीधे शेयरों में नहीं आ रहा है.

एक और फैक्टर है- यहां रुपया मजबूत हुआ है. आरबीआई भी ब्याज दरों के फ्रंट पर पॉजिटिव सिगनल दे रहा है इसलिए बाहरी निवेशकों को लग रहा है कि इन महीनों में यहां अच्छा रिटर्न हासिल हो सकता है. इसलिए इस वक्त यहां बाहर से निवेश का फ्लो बढ़ गया है.  इस तेजी में घरेलू निवेशकों का कोई नया पैसा नहीं आया है. वे पहले से ही बाजार में ज्यादा पैसा निवेश कर चुके हैं.

इन पर गौर करें, ये हैं बाजार के 'लेकिन' तत्व

इस तेजी के बारे में जो ध्यान रखने की बात है. बाजार में कुछ 'लेकिन' तत्व है. चूंकि यह बाहरी निवेशकों का पैसा ईटीएफ में आ रहा है सीधे इंडिवुजअल शेयर में पैसा नहीं आ रहा है. हालांकि बाजार तेज हो गया है. फिलहाल अगर घरेलू निवेशकों के पास पैसा है तो वे सोच रहे हैं कि बाजार में एंट्री मारें या नहीं. जो सयाने निवेशक हैं वे थोड़ा-थोड़ा बेच कर निकलने की कोशिश रहे हैं.

बहरहाल, आने वाले दिनों में बाजार की निवेशकों और बाजार की दो चीजों पर नजर रहेगी. हाल के दिनों में कच्चे तेल यानी क्रूड के दामों में अचानक काफी तेजी आई है.  एक और नई खबर ये है भारत का मानसून नॉर्मल से थोड़ा कम रहने का अनुमान है.

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बालाकोट के बाद सेंटिमेंट सुधरा और बाजार सरपट दौड़ पड़ा

छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनाव नतीजों के बाद बाजार में आशंका थी. हालांकि दिसंबर तक बाजार इसे बॉटम कर चुका था. उस पर लोग सहमे हुए थे,. सरकार की वापसी पर संदेह था. लेकिन फरवरी के बजट और पुलवामा बालाकोट घटना के बाद बाजार का सेंटिमेंट सुधरा. लोगों को लगने लगा कि मोदी सरकार की वापसी हो सकती है. इसलिए बाजार सुधरने लगा.

बाजार को लगने लगा कि अगर दूसरा गठबंधन आया तो इसकी बुरी हालत होगी. हालांकि, बाजार यह नहीं कह रहा है कि बीजेपी को बहुमत मिलेगा. अलग-अलग रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि बीजेपी घटी हुई सीटों के साथ वापसी कर सकती है और एनडीए के घटक दलों के साथ सरकार बना लेगी. बाजार चूंकि सेंटिमेंटल होता है उसको लगता है कि पॉलिसी की कंटीन्यूटी रहेगी. इसलिए इस वक्त तेजी का दौर है.

नई सरकार के बाद कैसा रहा है रिटर्न ?

पिछले 10 में से 8 चुनाव ऐसे हुए हैं, जिनमें बाजार में चुनाव से  पहले तेजी आई. चुनाव के बाद छह महीनों में तीन-चार फीसदी की तेजी आई . चुनाव के बाद अठारह महीनों के वक्त में 30 से 35 फीसदी की कमाई हुई है. इस दौरान गठबंधन सरकारें भी आई हैं और एक पार्टी की भी सरकार भी. आम तौर पर ट्रेंड यही रहा है कि बाजार के छह महीनों के बाद तीन-चार फीसदी कमाई हुई है और डेढ़ साल में 30-40 फीसदी कमाई.

पिछले पांच साल में हमारा शेयर बाजार इतना ऊपर नहीं गया जितनी उम्मीद थी. लेकिन पिछले कुछ महीनों में जो तेजी आई है वह निराली है.  ब्रॉड बेस्ड नहीं है.  इस वक्त मिडकैप और स्मॉल कैप भी पिटे हुए थे. उनमें से कुछ शेयर ऊपर उठ कर आ रहे हैं. लार्ज कैप में भी दस-पंद्रह शेयरों में तेजी है. बाजार लिक्विडिटी से नहीं वैल्यूएशन से बढ़ रहा है.

सरकार कोई भी बने बाजार की रफ्तार बनी रहेगी

चूंकि बाजार में इस बात पर सहमति है कि मोदी की अगुवाई वाले एनडीए के आने की वापसी हो सकती है.इसलिए तेजी का सेंटिमेंट बना हुआ है. लेकिन अगर कोई दूसरी गठबंधन सरकार बनती है.  कमजोर गठबंधन सरकार भी बनती है तो  बाजार चुनाव के बाद शायद कुछ दिनों के लिए गिर सकता है. लेकिन कैसी भी गठबंधन सरकार नीतियों की स्पष्टता के बाद बाजार को फिर बढ़ना है. यह इसलिए भारत के लांग टर्म ग्रोथ की संभावना पर कोई शक नहीं है. इंडियन इकनॉमी तेजी से बढ़ेगी. बाजार में कंपनियां कमाई करेंगे. यह वक्त लांग टर्म के लिए पैसा लगाने का होगा. तो निवेशक बाजार में पैसा कब लगाएंगे. आप पैसा कब लगाएंगे. आप ऐसे हालात में क्या करेंगे. निवेशकों को क्या अभी पैसा लगाना चाहिए.

मौजूदा हालात में निवेशक क्या करें

हमारी राय में फिलहाल सयाने इनवेस्टर चुनाव तक बेचेंगे. अच्छे स्टॉक अपने पास रखेंगे. हाथ में कैश रखेंगे.चुनाव के बाद बाद आने वाली सरकार की पॉलिसी साफ हो जाने के बाद निवेश करेंगे. हमारी राय यह होगी. बाजार में तेजी-मंदी कैसी भी  स स्थिति हो. सरकार का राजनीतिक रंग कैसा होगा.आने वाले दिनों या वर्षों में मोटी कमाई करनी हो तो भारतीय शेयर बाजार को आप नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. लेकिन अभी की तेजी को देख कर ट्रेडिंग के माइंडसेट से कोई घुसेगा तो यह हाथ जलाने जैसा होगा. लेकिन अभी के हालात में सयाने इनवेस्टर बाजार में कोई बड़ा सौदा करने को तैयार नहीं हैं.

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