कर्नाटक उपचुनाव में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की जीत कई ट्रेंड बताती है.वैसे तो उपचुनावों को देखकर आगे के चुनावों के बारे में भविष्यवाणी की जाए ये 'थ्योरेटिकली' गलत है, लेकिन क्यों गलत नहीं है ये हम आप को बता देते हैं.
कर्नाटक उपचुनाव से पहली जो सबसे बड़ी बात सामने आई है वो है कि कांग्रेस और JDS के बीच में वोट ट्रांसफर हो सकता है. इसका मतलब ये है कि अगर गठबंधन सही तरीके से हो और सीटों का बंटवारा ठीक से हो जाए तो वोट ट्रांसफर किया जा सकता है. जो बीजेपी के लिए बहुत बड़ा चैलेंज होगा. क्योंकि बीजेपी की उम्मीद अभी तक विपक्षी पार्टयों की कमजोरियों और मतभेद पर ही ज्यादा है. अब कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के गठबंधन ने ये बता दिया है कि कुमरास्वामी ने इस गठबंधन को अच्छे से चलाने की कोशिश की है और कांग्रेस के लिए जमीन बनाई है.
येदियुरप्पा का रिटायरमेंट तय
दूसरी बड़ी बात ये है कि इस चुनाव और इसके परिणाम से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के रिटायरमेंट की घोषणा हो रही है. वो अपने बेटे को तो जिताने में कामयाब हो गए, लेकिन जो दो विधानसभा सीटें बीजेपी बुरी तरह से हार गई, उसकी कीमत उन्हें चुकानी होगी. ऐसी खबरें भी आती रही हैं कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व उनसे खुश नहीं है. इसका मतलब उन्हें इस 'बुजुर्ग उम्र' में रिटायरमेंट मिलेगा और कर्नाटक में एक नया बीजेपी लीडर आएगा.
रेड्डी ब्रदर्स ने बेल्लारी का किला गंवाया
इस उपचुनाव में दूसरी सबसे बड़ी हार हुई है रेड्डी ब्रदर्स की. वो बेल्लारी की अपनी जमीन पूरी तरह से खो चुके हैं. बेल्लारी में माना जाता था कि बीजेपी की बड़ी ताकत रेड्डी भाई हैं, अब इनकी हार बताती है कि कर्नाटक में पब्लिक मूड कितना बदल चुका है. बेल्लारी लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने बीजेपी को 2 लाख 43 हजार वोट से हराकर जीत दर्ज की है.
शिवकुमार हीरो बनकर उभरे है
व्यक्तिगत तौर पर देखें तो ये कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार के लिए बेहद अच्छी खबर है. जो कांग्रेस के एक बड़े दबंग और सक्रिय नेता हैं. चाणक्य नाम की किसी पोजीशन के लिए अगर रेस चल रही है, तो उसमें शिवकुमार सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं. शिवकुमार लगातार विपरीत परिस्थितियों में भी, चाहें वो अपने ऊपर इनकम टैक्स रेड हो, अहमद पटेल का राज्यसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव, हर अहम मौके पर वो लगातार मैन ऑफ द मैच बने रहते हैं.
कांग्रेस-जेडीएस की चुनौती क्या है?
अब कांग्रेस के सामने एक चुनौती भी दिख रही है, वो है वोक्कालिगा नेतृत्व के लिए चल रही रेस. इस रेस में एकतरफ देवगौड़ा परिवार है तो दूसरी तरफ डीके शिवकुमार. इस बात पर ध्यान देना होगा कि इस प्रतिस्पर्धा में नकारात्मकता ना आ जाए.
बीजेपी के लिए बुरी खबर
कर्नाटक उपचुनाव से एक बात तो साफ है कि ये बीजेपी के लिए परेशान करने वाली बात है. साथ ही 2019 के लिए बीजेपी अपना रास्ता जितना आसान मान रही है उतना आसान है नहीं,
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)