बजट के ऐलान को देखकर जो रिएक्शन बाजार से आया है, उसके मुताबिक ये बजट खपत को बढ़ाएगा. यानी टैक्स छूट और किसान के पैसे सिस्टम में आएंगे, तो डिमांड बढ़ेगी. लोग खर्च करेंगे, तो इकनॉमी बढ़ेगी. लेकिन आने वाले दिनों में हमें देखना होगा कि ये पैसे कब बाजार में आएंगे. किश्तों में पैसे आए, तो खास फायदा नहीं होगा.
राहत की बात है कि सरकार ने फिस्कल डेफिसिट में बहुत छेड़छाड़ नहीं की है. कुछ लोग कहते हैं कि इससे खराब भी हो सकता है, राहत की बात है कि सब ठीक-ठाक गया है. सबको खुश करने की कोशिश है. ऐलान बहुत सारे हैं, लेकिन आंकड़े इसकी गवाही देंगे या नहीं, ये बाद में ही समझ में आएगा.
रियल एस्टेट सेक्टर में जो बाजार बिलकुल ठप हो गया था, वहां राहत देने की कोशिश हुई है. नोशलन रेंट पर अब टैक्स नहीं देना होगा. दूसरा घर खरीदने पर टैक्स में छूट मिलेगी. एक घर बेचकर दो घर लेते हैं, तो कैपिटल गेंस टैक्स नहीं लगेगा. इन घोषणाओं के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में बढ़त आएगी. ये सेक्टर जॉब क्रिएटिंग सेक्टर है और बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है. वहीं सरकार रोजगार के सवालों से लगातार जूझ रही है. ऐसे में सरकार ने सबको खुश करने के लिए ऐलान किया है. लेकिन इसमें थोड़ी देरी हो गई है.
वोटर भरोसा करेगा?
एक बात समझना होगा कि चुनाव के ठीक पहले जो बजट में ऐलान किए जाते हैं, क्या वोटर उस पर भरोसा करता है? इतिहास गवाह है कि आखिरी दिनों की घोषणाओं से खास फायदा नहीं होता. आपने ध्यान दिया होगा कि बजट में पुराने कामकाज को गिनाया गया, इरादे बता दिए गए. लेकिन इसका कितना फायदा होगा, ये बहस का विषय है.
आखिर में ये बात साफ है कि बजट में किसी को नाराज नहीं किया गया है. ये ध्यान दिया गया है कि नाराज लोगों को खुश कर दिया, जिससे वोट मिल जाए.
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