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बजट 2018: शेयर बाजार और बॉन्ड बाजार का ये रिश्ता क्या कहलाता है 

बजट से जुड़े हर सवाल का जवाब मिलेगा क्विंट हिंदी पर 

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सरकार के बजट को समझना इतना भी मुश्किल नहीं है. सरकार का हर साल बजट आने के बाद कुछ लोग खुश होते हैं तो कुछ नाराज. यहां हम बजट को आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे. यही नहीं, आपके मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब देंगे प्रदीप पांड्या.

तो बड़ा सवाल है कि अगर वित्त मंत्री शेयर मार्केट को खुश करने की कोशिश करते हैं तो बॉन्ड मार्केट नाराज हो जाता है. तो शेयर मार्केट और बॉन्ड मार्केट में कैसे असर पड़ता है, ये जानने की कोशिश करते हैं.

शेयर बाजार और बॉन्ड बाजार को मिलाकर बनता है कैपिटल मार्केट. इन दोनों के बीच में थोड़ी लड़ाई होती है. ये इसलिए क्योंकि शेयर बाजार को चाहिए ग्रोथ, जो सरकार के इंवेस्टमेंट से आती है. और इसी से शेयर बढ़ते हैं.

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लेकिन कई बार सरकार के पास पैसों की कमी होती है. ऐसे में सरकार को बजट घाटा बढ़ाकर निवेश करना पड़ता है.

इस बार भी शेयर बाजार निवेश की मांग कर रहा है लेकिन इससे बॉन्ड बाजार के तेवर बदल जाते हैं. क्योंकि बजट घाटा बढ़ने से बॉन्ड मार्के पर असर पड़ता है.

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दरअसल, बॉन्ड मार्केट के निवेशक घाटा बढ़ने पर सरकार और प्राइवेट कंपनियों से ब्याज मांगते हैं. कुछ समय पहले खबरें थीं कि सरकार वित्तीय घाटा बढ़ाकर निवेश करने वाली है. और इस घाटे की भरपाई के लिए सरकार को कर्ज लेना होगा. इससे बॉन्ड बाजार ने सरकार से ज्यादा कर्ज मांगना शुरू कर दिया.

उदाहरण के जरिए समझते हैं. एक तालाब है जिसके पानी से बिजली बनाई जाती है. इसमें शेयर बाजार के वो लोग हैं जो बिजली बनाना चाहते हैं. उनका कहना है कि पानी तेजी से छोड़ा जाए ताकि इकनॉमी का चक्का तेजी से चले और विकास हो.

इसी तरह बॉन्ड मार्केट वाले घाटे को काबू में रखना चाहते हैं. ये वो लोग हैं जो तालाब में मछली पालते हैं. उनकी ज्यादा पानी की मांग होती है. जैसे ही लोन की डिमांड आती है (सरकार से या कंपनियों से) तो ब्याज दरें बढ़ने लग जाती हैं.

ऐसी स्थिति में शेयर बाजार चाहते है कि सरकार कर्ज लेकर निवेश करे. यानी, तालाब का पानी तेजी से मिले और बिजली का उत्पादन हो. वहीं, बॉन्ड मार्केट चाहता है कि सरकार का घाटा काबू में रहे. भले ही थोड़ी बिजली बने लेकिन तालाब का पानी कम नहीं होनी चाहिए. यहीं वित्त मंत्री परेशानी में पड़ जाते हैं और अब देखना होगा कि वो किसे खुश करते हैं और किसे नाराज.

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