ADVERTISEMENTREMOVE AD

चित्रकूट उपचुनाव: ये जीत कांग्रेस में फूंकेगी नई जान?

‘चित्रकूट में बीजेपी की हार का ये मतलब नहीं कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की पकड़ खत्म हो गई है’

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मध्य प्रदेश की चित्रकूट विधानसभा सीट पर कांग्रेस एक बार फिर अपना नाम लिख चुकी है. उपचुनाव में कांग्रेस के नीलांशु चतुर्वेदी ने बीजेपी उम्मीदवार शंकर दयाल त्रिपाठी को 14 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है. लेकिन कांग्रेस की इस जीत से कोई बहुत बड़ा संदेश लेने की जरूरत नहीं है. ये वही सीट है जहां कांग्रेस का उम्मीदवार पहले से ही विजयी रहा है.

सीएसडीएस के डायरेक्टर संजय कुमार ने कहा, चित्रकूट की जीत कांग्रेस के लिए एक मोराल बूस्टर है. चित्रकूट कांग्रेस का पुराना गढ़ है.

चित्रकूट सीट पर हार से बीजेपी के मनोबल पर बड़ा धक्का लगा है. क्योंकि इस सीट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीजेपी के उम्मीदवार के लिए 3-4 दिन तक लगातार कैंपेन किया था.
संजय कुमार, डायरेक्टर, सीएसडीएस

सीएसडीएस के डायरेक्टर संजय कुमार ने कहा, “चित्रकूट में बीजेपी की हार का ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की पकड़ और लोकप्रियता खत्म हो गई है.”

कांग्रेस का गढ़ रहा है चित्रकूट

29 मई को प्रेम सिंह के निधन के बाद चित्रकूट सीट खाली हो गई थी. कांग्रेस के प्रेम सिंह इस सीट से तीसरी बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. लेकिन, इस बात से बीजेपी को फर्क नहीं पड़ा. उसने कांग्रेस से चित्रकूट को छीनने के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद यहां तीन दिन तक रुककर चुनाव प्रचार किया. उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे.

शिवराज सिंह ने आदिवासियों और किसानों को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. उन्होंने चित्रकूट के तुर्रा गांव में एक रात भी गुजारी थी. रात गुजारने के लिए एक आदिवासी का घर चुना था.

ये भी पढ़ें:

चित्रकूट में कांग्रेस की ‘छोटी’ जीत के ‘बड़े’ मायने क्या हैं?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×