गैर- कानूनी और असंगठित, लेकिन फिर भी 600 करोड़ का एक ऐसा जानलेवा बाजार जो सालाना 15 फीसदी और बड़ा हो जाता है, कोटा का ये है फलता- फूलता कोचिंग कारोबार. राजस्थान के कोटा में कोचिंग सेंटर वालों की कमाई के आंकड़े सुन अच्छे-अच्छे कारोबारियों के तोते उड़ जाएंगे.
एक तरफ तो कोटा से हर साल आईआईटी और सरकारी मेडिकल कॉलेज में सबसे ज्यादा छात्रों की एंट्री होती है, वहीं साल 2015 में कोटा में छात्रों के सुसाइड का मामला भी रिकॉर्ड बनाता है. सिर्फ 2015 में 31 छात्रों ने सुसाइड कर लिया और 2016 में अब तक 2 छात्रों ने मौत को गले लगाया है.
कौन है जिम्मेदार? कोचिंग सेंटर, माता-पिता या फिर बच्चे? उम्मीदों की उड़ान, पस्त होते हौसले, सब कुछ दांव पर लगाकर कोटा के भरोसे बैठ जाने वालों की है ये कहानी.
क्या आप भी अपने बच्चे को कोचिंग कराने की तैयारी कर रहे हैं?
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- बच्चों पर बढ़ता प्रेशर और कोचिंग मानिए जैसे है एक प्रेशर कुकर.
- आखिर क्या है कोटा जैसे शहरों में दिक्कत- राज खोलेगी हमारी ये डॉक्यूमेंट्री.
- एक छोटी सी कोशिश, आपके बच्चे किस परेशानी से जूझ रहे हैं ये दिखाने की.
- आपका पैसा क्या आपके बच्चों का भला कर रहा है?
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द क्विंट ने इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए कोशिश की है कोटा का सच आपके सामने लाने की. क्या है मौत के इस सेंटर का सच, बताने की कोशिश करेगी हमारी डॉक्यूमेंट्री - ‘कोटा- मौत का शहर’
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