कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया को नया कलेवर देने वालीं दिव्या स्पंदना आउटलुक स्पीक आउट 2018 की स्पेशल गेस्ट रहीं. ये इवेंट उन महिलाओं को लेकर था जिन्होंने अपने-अपने कार्यक्षेत्र में बेमिसाल काम किया और भीड़ से अलग पहचान बनाई.
क्विंट आउटलुक स्पीक आउट के सेकेंड एडिशन का डिजिटल पार्टनर था. इस इवेंट का थीम वीमेन एंपावरमेंट यानी महिला सशक्तिकरण था.
दिव्या स्पंदना से हुई हमारी खास बातचीत-
एक बाॅस के तौर पर राहुल गांधी कैसे हैं?
बाॅस के तौर पर राहुल गांधी शानदार हैं. वो मुझे पूरी आजादी देते हैं और हम एक-दूसरे के साथ काफी विश्वास से काम करते हैं. जब मैंने काम की शुरुआत की थी तब मैं काफी उलझन में और डर महसूस कर रही थी, ये सोचकर कि क्या इस जाॅब के लिए मैं सही शख्स हूं? लेकिन उन्होंने मेरी मदद की, आइडिया, ब्लूप्रिंट, विजन सबकुछ दिया. वो उनमें से नहीं हैं जो नियम बनाएं और किसी को उसमें बांधकर रखें. वो दूसरे इंसान को अपने विचार रखने की पूरी आजादी देते हैं.
एक बात जो उन्होंने मुझे बोली थी वो मुझे आज तक याद है- सच के साथ डटे रहो. मुझे याद है कि मैंने उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी जिसमें वो अलग-अलग दिशाओं में देख रहे थे. सारे लोग उसपर बवाल करने लगे लेकिन सिर्फ वो थे जो काफी शांत रहे. उन्होंने मुझे सिर्फ ये कहा कि- अगली बार से ध्यान रखना. वो सिर्फ अपनी बात मनवाने वालों में से नहीं हैं.
ब्रांड राहुल को 2019 में चमकाने के लिए दिव्या का कौन सा मैजिक काम करने जा रहा है?
मुझे नहीं लगता कि उन्हें किसी मैजिक की जरूरत है. लोग उनकी सच्चाई को जितना जानेंगे उन्हें उतना चाहेंगे. उन्हें खुद को लेकर किसी तरह की सोच बनाने की जरुरत नहीं है. जो वो नहीं हैं उसे बढ़ा-चढ़ाकर बताने की जरुरत नहीं है क्योंकि लोग जब ये जानेंगे कि राहुल गांधी असल में क्या हैं, वो उन्हें बेशक पसंद करेंगे.
क्या 2019 की चुनावी दौड़ के लिए कांग्रेस किसी टेक कंपनी के साथ टाई-अप करेगी?
नहीं, मुझे नहीं लगता कि फर्जी खबरों का भंडाफोड़ करने में कोई बड़ी टेक कंपनी हमारी मदद कर सकती है. बीजेपी जब अपने वादों पर कायम नहीं रह सकी तो उसके पास बताने के लिए कुछ है ही नहीं. वो सरकार चलाने में भी बुरी तरह से फेल रही. उनका बस एक ही काम है फेक न्यूज फैलाना. ये वो रोजाना करते हैं और ये हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज है. आजकल लोग जिस तरह से खबरों को पढ़ते हैं उनके लिए सच काफी बोरिंग सा हो गया है. तो ये जिम्मेदारी हम पर है कि हम लोगों को कैसे सच तक पहुंचाएं. लोगों को गाॅसिप और फेक न्यूज चाहिए जो उन्हें मनोरंजक लगता और आज सबसे बड़ा चैलेंज यही है.
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