वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दू प्रीतम
"जंग में फौजी बिना हथियार के नहीं जाता है, बिना हथियार के जाना मतलब सुसाइड करना. डॉक्टर भी कोरोना से सामना कर रहे हैं, लेकिन बिना हथियार, बिना तैयारी. आप दुश्मन से नकली बंदूक से नहीं लड़ेंगे ना, लेकिन हम सर्जिकल मास्क, ओटी गाउन पहनकर कोरोनावायरस से कह रहे देखो, हम तैयार हैं. हम आग के गोले पर बैठे हैं. कभी भी सैकड़ों डॉक्टर इसकी चपेट में आ सकते हैं."
ये बात बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच मतलब पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के एक सीनियर डॉक्टर कह रहे हैं.
बता दें कि कोरोनावायरस के खिलाफ जंग में पीएम मोदी डॉक्टर से लेकर हेल्थ स्टाफ के लिए ताली और थाली बजाने का ऐलान करते हैं, बिहार के सीएम डॉक्टरों को बोनस देने की बात कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच बिहार के सैकड़ों डॉक्टर कोरोना के सबसे बड़े शिकार बनने के मुहाने पर खड़े हैं. बिहार में अब तक कोरोना के 15 से ज्यादा पॉजिटिव केस मिले हैं, जिसमें एक शख्स की मौत हो चुकी है.
HIV किट देकर कहते हैं कोरोना से लड़ो
नाम ना छापने की शर्त पर डॉक्टर बताते हैं, "आपने देखा होगा कि चीन, इटली या दुनिया के दूसरे देशों में डॉक्टर एक पूरे ढके हुए कपड़े में होते हैं, उसे पीपीई मतलब पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट कहते हैं, लेकिन हमें HIV किट दिया गया है. कोरोना बल्ड नहीं बल्कि एक दूसरे के कॉन्टैक्ट में आने से फैल रहा है. सर्जिकल मास्क लगाकर हम कौन से कोरोना को हराएंगे? खुद जिंदगी से हार जाएंगे. डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ बचेंगे तभी तो मरीज का इलाज होगा."
अस्पताल का दावा- सब तैयारी है
पीएमसीएच के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट सिरे से अपने ऊपर लगे इल्जाम को खारिज करते हैं. उनके मुताबिक पीएमसीएच में डॉक्टरों के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं. हालांकि वो ये भी मानते हैं कि आइसोलेशन वार्ड को छोड़कर किसी भी डॉक्टर या स्टाफ को N-95 मास्क या पीपीई की जरूरत नहीं. जबकि डॉक्टरों का आरोप है कि कोरोना का मरीज कौन है ये कैसे बिना टेस्ट के पता चलेगा. और मरीज सबसे पहले ओपीडी या इमरजेंसी वॉर्ड में आता है, ऐसे में इन वॉर्ड में बिना सुरक्षा के काम करने वाले डॉक्टरों और स्टाफ के कोरोना की चपेट में सबसे पहले आने का खतरा है.
नाम ना छापने की शर्त पर एक डॉक्टर बताते हैं,
अस्पताल में N-95 मास्क नहीं है, इसलिए कई सारे मास्क को जोड़कर तीन लेयर का मास्क बनाया है. बारिश से बचने वाले रेन कोर्ट का इंतजाम कर लिया है, ताकि वक्त पड़ने पर वो उसे पहनकर ही ड्यूटी करेंगे.
बता दें कि बिहार में कोरोना से जो पहली मौत हुई थी उस शख्स के परिवार समेत पीएमसीएच के डॉक्टर ये बता चुके हैं कि पटना एम्स में भर्ती होने से पहले वो मरीज पीएमसीएच गया था. लेकिन पीएमसीएच प्रशासन इस बात को सिरे से खारिज कर रहा है. पीएमसीएच के अलावा बिहार के दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर भी खतरे के बीच मरीज को देखने के लिए मजबूर हैं.
डॉक्टरों ने 15 दिनों के लिए Quarantine पर जाने की उठाई थी मांग
23 मार्च को नालंदा मेडिकल कालेज के 83 जूनियर डॉक्टर्स ने अस्पताल प्रशासन और नीतीश सरकार को लेटर लिखा है. जिसमें इन डॉक्टरों ने कहा है कि 15 दिन के लिए इन सभी डॉक्टरों को Quarantine में भेज देना चाहिए. क्योंकि कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने के लिए इन लोगों के पास जरूरी चीजें नहीं हैं. हालांकि इन लोगों की इस मांग को अस्पताल ने खारिज कर दिया है.
कोई जरूरत नहीं है N-95 मास्क की, काम पर आइए, नहीं तो होगी शिकायत
जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में काम कर रहे स्टाफ नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं कि कुछ लोगों ने सुप्रीटेंडेंट को लेटर लिखा था. क्योंकि कई जब कोई मरीज या उसके साथ कोई अस्पताल आता है तो जूनियर डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ, इंटर्न और गार्ड का सामना उन लोगों से होता है. ऐसे में इमरजेंसी वॉर्ड में काम करने वाले लोगों को N95 मास्क, सही मात्रा में हैंड गल्वस और पीपीई किट दिया जाए. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग के साथ हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का हवाला देकर कहा कि OPD और इमर्जेंसी वॉर्ड के लिए N 95 मास्क और PPE की कोई जरूरत नहीं है. साथ ही ये भी कहा गया है कि अपनी ड्यूटी करें नहीं तो इसकी खबर प्रधान सचिव को दे दी जाएगी.
डॉक्टरों को जान के साथ एग्जाम में फेल होने का डर
डॉक्टरों के डर का हाल ये है कि वो अपना नाम बाहर नहीं लाना चाहते हैं. जूनियर रेसिडेंट ने बताया कि हममे से कुछ लोगों ने आवाज उठाई थी, उन्हें कॉलेज छोड़ देने और रेजिस्ट्रेशन कैंसिल कर देने की धमकी दी जा रही है. कई डॉक्टरों को डर है कि अगर उनका नाम बाहर आ गया तो उन्हें इनटर्नल एग्जाम में फेल कर दिया जाएगा.
बता दें कि देशभर में कोरोनावायस के मामले बढ़कर 1200 के पार हो गए हैं, और करीब 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी. ये आंकड़ा हर दिन बनता जा रहा है. लेकिन इन सबके बावजूद अब तक बिहार के डॉक्टरों के लिए इस महामारी से बचने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
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