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कोरोना पर फेक मैसेज से खबरदार, कर देंगे बीमार

दुनिया भर में COVID के इलाज और रोकथाम के असुरक्षित अवैज्ञानिक दावों के कारण कम से कम 800 लोगों की मौत हो चुकी है.

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वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

अप्रैल की शुरुआत में, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के एक गांव में 12 लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए और उन्हें हॉस्पीटल में एडमिट कराना पड़ा. क्योंकि उन्होंने एक टिकटॉक वीडियो पर विश्वास करते हुए धतूरे के बीज से बने रस को पी लिया था. जिसमें दावा किया गया था कि ये उन्हें COVID-19 से बचाएगा.

दूसरी घटना में, रासायनिक घोल पीने के बाद एक फार्मासिस्ट की मौत हो गई. उसने सोचा था कि ये घोल कोरोनोवायरस से बचाएगा.

ये सबूत है कि एक फॉर्वर्ड किया हुआ WhatsApp मैसेज या सोशल मीडिया पोस्ट कितना खतरनाक हो सकता है!

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में COVID के इलाज और रोकथाम के असुरक्षित अवैज्ञानिक दावों के कारण कम से कम 800 लोगों की मौत हो चुकी है और 5,800 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हुए हैं. ये जानकारी द अमेरिकन सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन में प्रकाशित एक अध्ययन में है.

इसमें ये भी बताया गया है कि लगभग 60 लोगों में मेथनॉल के सेवन के बाद पूर्ण अंधापन होने लगा. उनका मानना था कि इससे कोरोनवायरस का इलाज हो सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि ये मैसेज सुरक्षा की गलत भावना पैदा करते हैं और खतरनाक हो सकते हैं.

सोशल मीडिया आपको कोरोनावायरस से बचाने के मैसेज देता है या अगर आपको संक्रमण हो गया है तो इसके इलाज का, मैसेज मूर्खतापूर्ण होने से लेकर खतरनाक हो चुके हैं. हालांकि ये आपको नुकसान पहुंचा भी सकते हैं और नहीं भी. लेकिन तथ्य ये है कि वे आपको सुरक्षा का झूठा अहसास दिला सकते हैं. इससे आप वो उपाय नहीं करते जो आपकी संक्रमण से सही में रक्षा कर सकते हैं- हाथ धोना, फिजिकल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना आदि
डॉ. सुमित रे

कोरोना के शर्तिया इलाज के फेक दावे सोशल मीडिया पर सिर्फ कुछ आम यूजर्स ही नहीं कर रहे. दुनिया भर में सत्ता में बैठे नेता भी इसे बढ़ावा दे रहे हैं.

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उदाहरण के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि कीटाणुनाशक इंजेक्शन लगाने से या धूप के संपर्क में आने वाले लोगों का COVID-19 संक्रमण ठीक हो सकता है.

असम के भाजपा विधायक सुमन हरिप्रिया ने कहा कि गोमूत्र इसका एक संभावित इलाज है. योग गुरु रामदेव ने नाक के माध्यम से सरसों का तेल लगाने का सुझाव दिया और WhatsApp पर फर्जी डॉक्टर COVID-19 के लिए खुद से इलाज के तरीके सुझाते रहते हैं. इन दावों का कोई आधार नहीं है ये किसी भी वैज्ञानिक प्रमाण पर आधारित नहीं हैं.

कभी-कभी लोगों के लिए सरकार और राजनीतिक पार्टी के बीच अंतर करना मुश्किल होता है. सरकार के संदेश से राजनीतिक दल के संदेश अलग हो सकते हैं लेकिन कभी-कभी अंतर करना मुश्किल होता है. क्लासिक केस है गोमूत्र. गोबर आपकी COVID संक्रमण से रक्षा करते हैं लेकिन इसका कोई सबूत नहीं हैइसलिए ये बहुत महत्वपूर्ण है कि आप अपनी सुरक्षा के लिए पुष्ट उपाय करें.
डॉ. सुमित रे

इतना ही नहीं है.. गलत सूचना के आधार पर उड़ी अफवाह के बाद स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ भी हिंसा हुई. इंदौर के वायरल वीडियो को याद कीजिए, जिसमें दिखाया गया था कि स्वास्थ्य कर्मियों पर पत्थरों से हमला किया जा रहा है.

कथित तौर पर, ऐसा WhatsApp पर घूम रहे उन मैसेजों की वजह से हुआ जिसमें दावा किया गया था कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता लोगों को वायरस से संक्रमित कर रहे हैं. जिस टीम पर हमला हुआ थाउस टीम की सदस्य रहीं डॉ. तृप्ति कटदरे का कहना है कि बिना वेरिफाई किए गए मैसेज की वजह से हिंसा हुई.
डॉ. तृप्ति कटदरे, मेडिकल ऑफिसर, क्षिप्रा पीएचसी, इंदौर

इन भ्रामक और फेक फॉर्वर्ड के कारण भारत में भीड़ की हिंसा की कई घटनाएं होती हैं. तो, इस वायरस से लड़ने के लिए गलत सूचना से लड़ने के लिए यदि आप बीमार पड़ते हैं तो अपने डॉक्टर की सलाह मानें न कि WhatsApp पर मिलने वाली स
लाह का. वायरस के बारे में मिलने वाली हर जानकारी को वेरिफाई करें. सावधानी बरतें, सुरक्षित रहें और वेबकूफ न बनें.

हम वेबकूफ पर COVID-19 से संबंधित गलत सूचना से संघर्ष को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं. यदि आप फेक न्यूज के खिलाफ हमारी लड़ाई का हिस्सा बनना चाहते हैं तो बस हमें webqoof@thequint.com पर लिखें या हमें WhatsApp पर +91 96436 51818 पर अपने सवाल भेजें और हम इसे आपके लिए वेरिफाई करेंगे.

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