यूपी चुनाव को लेकर लोकनीति और सीएसडीएस ने यूपी में एक सर्वे कराया है. इस सर्वे के नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं. इसकी बारीकियों को समझने और यूपी का रुख समझने के लिए द क्विंट ने संपादकीय निदेशक संजय पुगलिया और सीएसडीएस के डायरेक्टर संजय कुमार के साथ चर्चा की.
सवालः सर्वे के मुताबिक समाजवादी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभर रही है. क्या यूपी चुनाव एकतरफा होगा?
संजय कुमारः पिछले तीन सालों में जितने भी चुनाव हुए हैं, वो सभी एकतरफा हुए हैं. जीतने वाली पार्टी बड़ी संख्या में सीटें और वोट लेकर आ रही हैं. यूपी में जो मौजूदा हालात हैं, उन्हें देखते हुए अगर समाजवादी पार्टी एक रहकर चुनाव लड़ती है, तो निश्चित रूप से मुकाबला दो पार्टियों के बीच होगा.
सवालः सर्वे के मुताबिक, सीएम कैंडिडेट के तौर पर अखिलेश वोटर्स की पहली पसंद हैं. अखिलेश ने अपनी सरकार के अंतिम वक्त में अचानक इतनी लोकप्रियता कैसे हासिल कर ली?
संजय पुगलियाः अगर सर्वे बता रहा हो कि रूलिंग पार्टी हारेगी, फिर भी अक्सर ऐसा होता है कि सीएम लोकप्रिय बना रहता है. अखिलेश ने खुद को सपा के दुर्गुणों से दूर करने की कोशिश की है. लेकिन जब आपके (सपा) खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल हो. परफॉर्मेंस पर बात कम हो रही है. सिद्धांतों के लिए पिता और चाचा से बगाबत करने जैसी बातों पर जनता भरोसा कर ले और एंटी इनकंबेंसी भूल जाए, ऐसा संभव नहीं है. मीडिया में भले ही अखिलेश के फेवर में माहौल बना हुआ है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यूपी में सपा नंबर 1 है.
सवालः सर्वे के मुताबिक, यूपी में अखिलेश यादव की लोकप्रियता पीएम मोदी से ज्यादा है. आखिर लोकप्रियता के इस ग्राफ में पीएम मोदी से आगे कैसे हैं अखिलेश?
संजय कुमारः दोनों के बीच कोई मुकाबला नहीं है. लेकिन यूपी में सीएम के तौर पर अखिलेश को 34 फीसदी लोग पसंद करते हैं. वहीं पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी को 32 फीसदी लोग पसंद करते हैं. यूपी में बीजेपी को जो वोट मिलने की संभावना है, वो सिर्फ और सिर्फ मोदी की वजह से है, क्योंकि बीजेपी ने अपना कोई सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया है.
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