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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बातें हजार, नेता भूल गए अपना बिहार  

नीतीश कुमार कहते हैं कि केजरीवाल ने दिल्ली के उन इलाकों में कोई काम नहीं किया है जहां बिहार के लोग रहते हैं.

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

जिनके घर शीशे के होते हैं, वह दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं मारा करते, फिल्म वक्त में एक्टर राजकुमार का ये फेमस डायलॉग शायद बिहार के नेता भूल गए हैं. ये नेता दिल्ली के चुनाव में बिहार का विकास मॉडल दिखा रहे हैं. बिहार के सीएम और डिप्टी सीएम दिल्ली में 'केजरीवाल से बिहार के अपमान का बदला लेगी जनता' जैसी बातें कर रहे हैं. लेकिन खुद बिहार के बिगड़े सिस्टम का क्या?

शिक्षकों की कमी से जूझते कॉलेज, खंडहर होते अस्पताल, पटना में बाढ़, चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत, एक 47 और बढ़ता क्राइम. अब जब बिहार के लोग प्रदेश में आपका इ भाषण सुनेंगे तो कलेजा मूं को आ ही जाएगा.. और लोग पूछेंगे जरूर जनाब ऐसे कैसे?

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, बीजेपी के साथ चुनाव लड़ रही है. नीतीश कुमार गृह मंत्री के साथ रैली करते हैं. सुशील मोदी सभा पर सभा करते हैं. नीतीश जी कहते हैं कि केजरीवाल ने दिल्ली के उन इलाकों में कोई काम नहीं किया है जहां बिहार के लोग रहते हैं.

केजरीवाल ने दिल्ली के उन इलाकों में भी कोई कार्य नहीं किया है जहां बिहार के लोग रहते हैं. उन्हें नालों से होकर गुजरना पड़ता है. कच्ची सड़कें उन्हें परेशान करती हैं.

लेकिन नीतीश बाबू शायद ये सब कहते हुए आप अपने सूबे के डिप्टी सीएम सुशील मोदी की वो तस्वीर ही भूल गए, जिसमें वो हाथ बांधे, घर का सामान लिए सड़कों पर खड़े थे. पटना की सड़कों से लेकर घर, अस्पताल, दुकान सब पानी-पानी हो गया, लेकिन सरकार की आंखों में पानी नहीं आया? ये बातें ज्यादा दिन पुरानी नहीं बल्कि सितंबर 2019 की है. फिर भी भूल गए. कोई नहीं. काम का प्रेशर जो है.

हेल्थ सिस्टम बीमार है

पानी से याद आया हेल्थ सिस्टम भी डूबा ही हुआ है. अच्छा होता बिहार के नेता दिल्ली में बिहार के बीमार पड़े हेल्थ सिस्टम की बात भी करते. चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत होती है. अस्पताल खुद इलाज मांग रहा हो, ऐसे प्रदेश के सीएम साहब को इस बात पर बुरा लग जाता है कि केजरीवाल ने ये कह दिया कि बिहार के लोग 500 रुपए का टिकट कटाकर दिल्ली इलाज के लिए आते हैं.

मान लेते हैं कि केजरीवाल ने गलत बात की, लेकिन आप तो ये सोचिए कि दिल्ली का कोई नेता बिहार के बारे में ऐसा क्यों कह रहा है. क्योंकि दरभंगा का मरता हुआ अस्पताल, मुजफ्फरपुर का सरकारी अस्पताल बीमार, पटना के अस्पताल में पानी घुस जाता है, सर बिहार का स्वास्थय बहुत बीमार है, बहुत बीमार..

कैंसर का इलाज कराने के लिए बिहार के लोग दिल्ली की तरफ देखते हैं. दिल्ली एम्स के धक्के खाते-खाते एक 3 साल की बच्ची के पिता ने आपसे गुहार भी लगाई, कई बार आपको ट्विटर पर हमने टैग भी किया, लेकिन कोई जवाब नहीं. सर दिल्ली के अस्पतालों में और उसके बाहर पड़े लोगों से जाकर मिल लीजिए उनको अपमान की नहीं जान बचाने की चिंता है.

कॉलेजों में शिक्षक की कमी कब दूर होगी?

नीतीश जी आप बिहार के स्कूलों की बात करते हैं, आप कहते हैं कि बिहार जैसे गरीब राज्य में 22 हजार से ज्यादा प्राइमरी स्कूल बनवाए. ड्रॉप आउट रेट कम किया. सारी बातें सर आंखों पर सर, लेकिन कॉलेज में शिक्षकों की कमी कब कम होगी. शहर दर शहर बिहार के हर यूनिवर्सिटी और कॉलेज में टीचर की कमी है.

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रेप के आंकड़े सरकार की मुस्तैदी की कहानी बता रही है

डिप्टी सीएम सुशील मोदी ट्वीट कर कहते हैं कि दिल्ली सरकार बिहार-यूपी के लोगों को बोझ बताती है और बेहतर इलाज के लिए राजधानी आने से रोकना चाहती है, लेकिन टुकड़े-टुकड़े गैंग के प्रति नरमी बरतती है. सुशील पूछते हैं कि जब कश्मीर से अल्पसंख्यक गायब हो रहे थे तो शाहीन बाग क्यों चुप था.

लेकिन जनाब ये तो बताइए पटना में CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने गया एक अल्पसंख्यक जब गायब हो गया और 9 दिन बाद उसकी लाश मिली तो आप कहां थे? आप क्यों चुप थे? जब कश्मीर से अल्पसंख्यक निकले तो पता नहीं शाहीन बाग था या नहीं लेकिन जब पटना से युवक गायब हुआ तो आप तो थे...

अगर बिहार पुलिस के आंकड़ों पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि बिहार में 2019 में कुल 2910 मर्डर हुए हैं, और 1375 रेप. जबकि 2010 में 795 रेप केस दर्ज हुए थे. मतलब सरकार मुस्तैद है, लेकिन फिर भी साल दर साल रेप की घटनाओं में कमी नहीं आई. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस क्या बिहार का अपमान नहीं है. और अगर इन सबको भी आप अपमान नहीं मानते हैं, तो जनता तो पूछेगी जनाब ऐसे कैसे?

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