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सीलिंग पर कारोबारी:दुकानें अवैध थीं तो सरकार क्यों लेती रही टैक्स?

व्यापारियों के प्रदर्शन के बीच क्या निकलेगा सीलिंग पर कोई रास्ता?

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बीते तीन महीने से दिल्ली में लगातार दुकानों की सीलिंग जारी है. जिसके बाद हजारों व्यापारी सड़क पर आ गए हैं. सीलिंग के विरोध में दुकानदार लगातार जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं. अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर एमसीडी ने दिल्ली के अलग-अलग मार्केट में हजारों दुकानों पर ताला जड़ दिया. सीलिंग मामले की पड़ताल के लिए क्विंट पहुंचा दिल्ली के लाजपत नगर डबल स्टोरी मार्केट. जहां करीब 450 दुकानें सील कर दी गई हैं. कारोबारियों ने आरोप लगाया कि उनके पास कोई सीलिंग को लेकर कोई नोटिस नहीं दी गई.

क्यों हो रही है सीलिंग?

साल 2006 में शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में दिल्ली में सीलिंग शुरू हुई थी. मास्टर प्लान 2021 को देखते हुए रिहायशी इलाकों में कमर्शियल दुकानों पर रोक का प्रावधान है.

दिल्ली के कई इलाकों में अवैध निर्माण की शिकायतों के बाद 2005 में हाईकोर्ट ने एक्शन लेने के आदेश दिए थे. लेकिन एमसीडी के रवैये के कारण मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में अवैध निर्माण की सीलिंग करने के आदेश जारी किए. जिसके बाद 2006 में कई इलाकों में सीलिंग की गई. सीलिंग के दौरान पुलिस और दुकानदारों में झड़प भी हुई. जिसमें 4 लोगों की मौत भी हो गई थी.

मामला तब बढ़ा जब सरकार ने 2006 में दुकानों या कमर्शियल प्रॉपर्टी को सीलिंग से बचाने के लिए कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान किया और कोर्ट ने कुछ वक्त के लिए सीलिंग रोक दी.

लेकिन मामला फिर उठा. सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी दुकानों या प्रॉपर्टी को सील करने का आदेश दिया और इसके लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया. अब मॉनिटरिंग कमेटी की देखरेख में ऐसी दुकानों को सील किया जा रहा है, जिन्होंने कन्वर्जन चार्ज जमा नहीं कराया है.

व्यापारियों की मांग

व्यापारियों की मांग है कि सरकार दिल्ली के व्यापार को सीलिंग से बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए . वहीं दूसरी तरफ 31 दिसंबर, 2017 तक दिल्ली में जहां है जैसा है के आधार पर एक एमनेस्टी स्कीम दी जाए.उनका यह भी कहना है कि लोकल शॉपिंग सेंटर्स कमर्शियल दरों पर दिए गए थे, इसलिए उनसे कन्वर्जन चार्ज लेना कहां तक उचित है ओर उनको सील किया जाना गलत है.

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