22 मई, 1987 की खौफनाक रात प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (PAC) के जवानों ने इलाके के करीब 42 लोगों को गोली से उड़ा दिया था.
28 साल के बाद 2015 में इस नरसंहार पर फैसला आया. लेकिन इतना लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी कोर्ट ने सभी 16 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया. इस केस में किसी को भी सजा नहीं हुई.
नरसंहार के 30 साल बाद द क्विंट की टीम वहां पहुंची तो पाया कि हाशिमपुरा की एक बस्ती में आज भी नरसंहार से बचे और मारे गए पीड़ितों के परिजन आज भी अपने गुनहगारों को ढूंढ रही है.
वीडियो प्रड्यूसर: रोहित मौर्या
कैमरामैन: शिवकुमार मौर्या
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टॉपिक: हाशिमपुरा हत्याकांड
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