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तीन राज्यों में छोटा नुकसान भी BJP को बहुत भारी पड़ सकता है

तीन राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए क्यों बेहद अहम हैं? यहां पार्टी का प्रभुत्व दांव पर है

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वीडियो एडिटर- आशुतोष भारद्वाज

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ बीजेपी का गढ़ रहा है. राजस्थान में बीजेपी ने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सारे रिकॉर्ड तोड़े. 11 दिसंबर को पता चलेगा कि इन तीन राज्यों ने अपना क्या फैसला दिया है. सर्वे बता रहे हैं कि मामला कांग्रेस और बीजेपी के बीच फिफ्टी-फिफ्टी का रह सकता है.

कुल मिलाकर खबरों के मुताबिक, इन राज्यों में बीजेपी की बादशाहत कम होने वाली है. समझते हैं कि अगर बीजेपी के गढ़ में सेंध लगी, तो लोकसभा चुनाव पर इसका क्या असर होगा.

बीजेपी-कांग्रेस के बीच स्ट्राइक रेट बदला तो:

इन तीन राज्यों में कुल 65 लोकसभा सीटें हैं. 2014 में बीजेपी ने इनमें से 62 सीटें जीती थीं. मध्य प्रदेश और राजस्थान में कितनी भारी जीत हुई थी, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दोनों राज्यों में बीजेपी को 55 परसेंट के करीब वोट मिले थे. मुकाबला सीधा कांग्रेस के साथ था और बीजेपी का स्ट्राइक रेट 95 रहा. हाल के सर्वे बता रहे हैं कि कम से कम इन राज्यों में बीजेपी का स्ट्राइक रेट काफी कम होने वाला है.

मान लीजिए कि बीजेपी का स्ट्राइक रेट गिरकर 60 परसेंट हो जाता है. ऐसी हालत में बीजेपी को सिर्फ इन तीन राज्यों में 23 सीटों का नुकसान हो सकता है.

दरअसल पूरे देश में जहां-जहां बीजेपी का मुकाबला सीधा कांग्रेस से था, मोदी जी की पार्टी ने कांग्रेस को पूरी तरह से डेमोलिश कर दिया. 2014 में कुल 189 सीट पर सीधा मुकाबला इन्हीं दो बड़ी पार्टियों के बीच रहा, जिनमें से बीजेपी को 166 सीटों पर जीत मिली और स्ट्राइक रेट रहा 88 परसेंट.

तीन राज्यों से हमें साफ संकेत मिलेगा कि देश के बाकी राज्यों में बीजेपी का कांग्रेस के मुकाबले स्ट्राइक रेट क्या रहता है. इसमें मामूली गिरावट से भी बीजेपी को बड़ा नुकसान हो सकता है. हाल के गुजरात विधानसभा चुनाव से भी संकेत मिलता है कि सीधे मुकाबले में कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे पा रही है.

क्या स्ट्रेट कंटेस्ट में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई बीजेपी दूसरे इलाकों से कर सकती है? आंकड़ों के हिसाब से वो काफी मुश्किल है. 2014 में उन सीटों पर, जहां बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस के अलावा दूसरी पार्टियों से था, वहां बीजेपी का स्ट्राइक रेट महज 49 परसेंट था. ऐसे में दूसरे इलाकों में बड़ी रिकवरी मुश्किल ही दिखती है.

2014 में बीजेपी की बड़ी जीत की सबसे बड़ी वजह थी कांग्रेस का बहुत ही खराब प्रदर्शन. अगर तीन राज्यों से यह संकेत आता है कि कांग्रेस अपनी खोई जमीन वापस पा रही है, तो ये बीजेपी के लिए बुरी खबर है.

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मोदी प्रीमियम की चमक कितनी?

एक बार फिर से दोहरा दूं कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को राजस्थान और मध्य प्रदेश में रिकॉर्डतोड़ 55 परसेंट वोट मिले थे. उस समय उसे मोदी प्रीमियम का कमाल बताया गया था. 11 दिसंबर को हमें पता चलेगा कि उस प्रीमियम की चमक कितनी है.

कुछ एक्सपर्ट कहते हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक-दूसरे का रिफ्लेक्शन मानना सही नहीं है. मेरे हिसाब ऐसा मानना सही है. इन तीन राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में लोगों का रुझान एकसमान ही रहा है.

दूसरी बात यह है कि मोदी युग में हर चुनाव मोदी जी के नाम पर ही लड़ा जाता है. लोकल फैक्टर तो होते हैं, लेकिन बड़ी सच्चाई यह है कि वोटर मोदी जी के पक्ष या विरोध में वोट करते हैं. इसीलिए विधानसभा के नतीजों में 2019 के लोकसभा की झलक हम साफ देख सकते हैं.

गठबंधन को लेकर कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन:

इंडेक्स ऑफ अपोजिशन यूनिटी यानी बीजेपी के खिलाफ गठबंधन में कौन-कौन शामिल होंगे, यह अभी तय नहीं है. सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में पिक्चर साफ नहीं है. कांग्रेस के संभावित सहयोगी ऑप्शन तलाश रहे हैं. कोई अभी शायद तय नहीं कर पा रहा है कि राजनीतिक हवा का रुख क्या है.

इन तीन राज्यों के नतीजों के बाद अगर कांग्रेस का रिवाइवल दिखता है, तो गठबंधन बनने का प्रोसेस काफी तेज हो सकता है. सहयोगियों के मन से कन्‍फ्यूजन दूर हो सकता है. मतलब यह कि इन तीन राज्यों में बीजेपी के किले में सेंध का भी बड़ा ड्रैमेटिक रिजल्‍ट हो सकता है.

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