पटाखों के बिना दिल्लीवालों को मनानी होगी दिवाली. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखे की बिक्री पर रोक लगा दी है. प्रदूषण से बचने के लिए 31 अक्टूबर 2017 तक सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे की बिक्री पर बैन लगाया है. ऐसे में दिवाली पर पटाखे बेचकर जिंदगी गुजारने वाले दिल्ली के पटाखा कारोबारियों में मायूसी छाई हुई है.
दिल्ली के जामा मस्जिद के करीब पटाखा बाजार के बड़े व्यापारी और छोटे दुकानदार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से काफी नाराज हैं. और करोड़ों रुपये के नुकसान होने की बात कह रहे हैं.
जामा मस्जिद इलाके में पटाखा बेचने वाले अजय कुमार कहते हैं,
पिछले साल दिवाली के बाद 11 नवंबर को कोर्ट ने पटाखे की बिक्री पर रोक लगा दिया था. लेकिन 12 सितंबर 2017 को कोर्ट ने रोक हटा लिया था. लेकिन दोबारा 9 अक्टूबर 2017 को फिर से रोक लगा दिया. अगर कोर्ट को बिक्री पर बैन लगाना ही था, तो बैन हटाते ही नहीं. इससे व्यापारियों का पैसा तो बर्बाद होता.
बैन के खिलाफ पटाखा व्यापारियों ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजा
बता दें कि कोर्ट ने ये फैसला दिवाली के दौरान बढ़ जाने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए लिया है. वहीं दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक के फैसले में बदलाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पटाखा व्यापारियों और दुकानदारों ने अर्जी दायर की है.
व्यापारियों ने अपनी अर्जी में कहा है कि 12 सितंबर को दिए गए फैसले के बाद उनके लाइसेंस बहाल हो गए थे और उन्होंने दिवाली के दौरान बिक्री के लिए पटाखों की खरीद कर ली थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर रोक हटाने से इनकार कर दिया है.
पटाखा से जुड़े दिहाड़ी मजदूर जलालुद्दीन बताते हैं,
हम लोग 20 साल से यहां काम कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश से नौकरी के लिए ही दिल्ली आये थे, कोर्ट ने दिवाली में ही पटाखा बेचने पर रोक लगा दिया है. ऐसे में जहां मैं काम करता हूं जब उनका बिक्री ही नहीं होगा तो मालिक हमें पैसा कहां से देंगे. अगर ऐसा ही रहा तो हमें वापस अपने गांव लौट जाना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पटाखों की बिक्री 1 नवंबर, 2017 से दोबारा शुरू हो सकेगी. इससे सुप्रीम कोर्ट देखना चाहता है कि पटाखों की वजह से प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है.
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