हिंदुस्तान अपने आजादी की 76वीं सालगिरह बड़े ही जोश के साथ मना रहा है. भारत सरकार पूरे मुल्क में ‘हर घर तिरंगा’ (Har Ghar Tiranga) अभियान चला रही है. पूरा देश तिरंगे के रंग में सराबोर है...लेकिन क्या भारत उस मंजिल को पाने में कामयाब हो सका है, जिसका ख्वाब देश को आजादी दिलाने वाले मतवालों ने देखा था. क्या हमारा देश उन रास्तों पर चल रहा है, जो रास्ते ‘गांधी के सपनों के भारत’ से होकर गुजरते हैं? क्या देशभक्ति सिर्फ हर घर झंडा फहराने तक ही सीमित है या हमारे रहनुमाओं, सरकारों और देश की जनता के कंधों पर कुछ और भी जिम्मेदारियां हैं? इस तरह के तमाम सवालों पर बात करती हुई ये कविता पढ़िए.
हर हिंदुस्तानी का नारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा
रंग-बिरंगे एहसासों में
रंगा है ये वतन हमारा
ये तीन रंग लहराया है, ये तीन रंग लहराएगा
हिंदुस्तान के हर कोने तक ये झंडा फहराया जाएगा
बस देखना ये है सिलेबस में कुछ पाठ नये जो आते हैं
क्या इनके ज़रिए जनता को गद्दी वाले बहलाते हैं?
पंद्रह अगस्त को भारत मेरा रंग-बिरंगा पूछेगा
हम मिलकर फहराएंगे इसको,यही तिरंगा पूछेगा
ये पूछेगा अपने घर से, पूछेगा ये हर रहबर से
हर संविधान निर्माता से, पूछेगा भाग्य विधाता से
जो संविधान की बातों का पालन न करे वो कौन है?
देश में खाली पेटों पर, सिस्टम अपना क्यों मौन हैं?
क्यों बेरोजगारी मुद्दे पर कुछ बात नहीं की जाती है?
क्यों चौराहों-चौराहों पर नफ़रत फैलाई जाती है?
क्यों आज भी भेदभाव होता है? दलितों से, महिलाओं से
क्यों दिल का दर्द नहीं पूछा जाता है बेटियों, मांओं से?
क्यों अपने ही देश के लोगों को दुश्मन बतलाया जाता है?
क्यों 'उस दुकान पर मत जाना' ऐसे फुसलाया जाता है?
क्यों नमाज़ से-पूजा से, कुछ लोग को नफ़रत होती है?
क्या ऐसा करके उनके घर में कोई बरकत होती है?
क्यों कुछ लोगों पर खास कानून लगाया जाता है?
क्यों नफ़रतवादी सोचों को जेलों से बचाया जाता है?
क्या गांधी के ही भारत में गांधी को भूल गए हैं हम?
क्यों नहीं दिखता है सबको, भारत मां की आंखें हैं नम
ये देशभक्ति अल्फ़ाज़ ही नहीं है सबकी ज़िम्मेदारी है,
जनता के साथ ही हर सरकार की ये इक पहरेदारी है.
ज़िम्मेदारी है तिरंगे के दिल की बात को समझा जाए,
है तीन रंगों की दुनिया जो, उसके हालात को समझा जाए.
ये बात ज़रा समझे कोई तिरंगे को नाज़ कब होगा?
तिरंगा पूछ रहा है हमसे 'सच' का राज कब होगा?
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