कर्नाटक चुनावों में कांग्रेस ने सिर्फ राज्य में ही एड़ी चोटी का जोर नहीं लगाया बल्कि दिल्ली के रण में भी कानूनी लड़ाई लड़ी जा रही थी. और इस लड़ाई को लीड कर रहे थे कांग्रेस नेता और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी.
15 मई को नतीजों के बाद राज्यपाल की तरफ से बीजेपी को सरकार बनाने न्योते ने कांग्रेस और जेडीएस के खेमे में हलचल मचा दी. पार्टी ने तय किया कि इसके खिलाफ जमकर कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी और इसकी कमान अभिषेक मनु सिंघवी संभालेंगे. लेकिन वो दिल्ली में नहीं थे.
क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से बातचीत में सिंघवी ने बताया कि
मुझे किसी काम से चंडीगढ़ जाना था और चंडीगढ़ का एयरपोर्ट उस दिन बंद था. मैंने जैसे ही शताब्दी से उतरकर चंडीगढ़ स्टेशन पर कदम रखा, फोन घनघनाने लगे. मुझे दिल्ली पहुंचना था. पता चला कि नजदीकी एयरपोर्ट पिंजौर है. किसी तरह जल्दी से विमान का बंदोबस्त किया और दिल्ली के लिए उड़ान भरी. वहां एक मीटिंग के बाद तय हुआ कि चिदंबरम, कपिल सिब्बल और मैं एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स करेंगे लेकिन मैं उसमें शामिल नहीं हुआ. मुझे काफी तैयारी करनी थी और मैं सीधे घर गया. रात 8 से 10 के बीच याचिका के 2-3 ड्राफ्ट बने. करीब 9 बजे एहसास हुआ कि राज्यपाल हमें सरकार बनाने का न्योता बिल्कुल नहीं देने वाले. जिसके बाद याचिका को फिर से ड्राफ्ट किया गया.
सिंघवी के मुताबिक रात की ये सुनवाई बीजेपी की ही देन है. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को भी लगा कि सुबह शपथग्रहण से पहले सुनवाई जरूरी है. हालांकि, याचिका दायर होने की प्रक्रिया लंबी होती है. मुझे नहीं मालूम था कोर्ट में कितने बजे बुलाया जाएगा तो मैं देर रात ताज में कॉफी पीने चला गया. फिर रात 12. 30-1.00 बजे पता लगा कि सुप्रीम कोर्ट से बुलावा आ गया है."
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