कम से कम केरल बाढ़ के इस संकट में तो रुक जाइए...प्लीज स्टॉप इट...अपनी धार्मिक कट्टरता, अपनी नफरतें, इंसानियत से दूरी को इस तरह मत दिखाइए!
केरल पिछले 100 सालों की सबसे बड़ी बाढ़ में फंसा है. अब तक 350 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं. घर हो या दुकान, ताश के पत्तों की तरह बह रहे हैं या फिर डूब चुके हैं. रोजी-रोटी छिन चुकी हैं. हर तरफ बस बर्बादी का आलम है. नुकसान, हजारों करोड़ का है.
जहां देश आफत की इस घड़ी से जूझ रहा है, वहीं कुछ लोग हैं जो ट्विटर पर, सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं. ऐसे लोग जो इस बाढ़ के लिए महिलाओं को, बीफ को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना..
- महिलाएं
- बीफ
- कम्युनिज्म
- मुस्लिम
- ईसाई
बारिश को छोड़कर....ये सब...केरल में सदी की सबसे बड़ी बाढ़ के लिए जिम्मेदार हैं!
एक हैशटैग चल रहा है- #ApologiesToLordAyappa. जिसके मुताबिक ये भगवान अयप्पा का कहर है क्योंकि महिलाएं शबरीमाला मंदिर में प्रवेश चाहती हैं. वैसे, सच पूछिए तो नादानी और अंध श्रद्धा में कोई संबंध भी नहीं. तभी तो हाल ही में रिजर्व बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हुए एस गुरुमूर्ति ने लिखा: "सुप्रीम कोर्ट के जज ये देख सकते हैं कि कहीं इस बाढ़ में और जो शबरीमाला केस में हो रहा है, उसमें कोई संबंध तो नहीं." आगे उन्होंने लिखा, "अगर इस बात का लाखों में एक चांस भी है....तो लोग नहीं चाहेंगे कि फैसला अयप्पन के खिलाफ हो.”
और जब इस सब की बात कर ही रहे हैं तो बीफ को कैसे भूल सकते हैं.
कृष सुब्रह्मण्यम के पास इसका जबर्दस्त हल है. उनके मुताबिक केरल के हिंदुओं को बीफ नहीं खाना चाहिए. आप नहीं कह सकते हैं कि आप हिंदू भी हैं और बीफ भी खाते हैं. मदर नेचर सूद समेत इसकी सजा देगी.
रूप डराक लिखते हैं: सवाल ये है कि क्या हमें केरल के बीफ खाने वालों की मदद करनी चाहिए जो पूजने वाली गायों को मारते हैं?
और जब इतना कुछ लिखा जा रहा हो, कहा जा रहा हो तो मुसलमान और ईसाई भी दायरे में आ ही जाते हैं.
खासकर ऐसे लोगों को गौर से पहचानिए जो केरल की इस मुश्किल घड़ी में इसलिए डोनेट करने से मना कर रहे हैं क्योंकि राज्य की बड़ी आबादी मुस्लिम और क्रिश्चियन है या फिर ऐसी संस्थाओं को दान करने को कह रहे हैं जो सिर्फ हिंदुओं की मदद करें.
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बाढ़ और उससे होने वाली बर्बादी की वजह सिर्फ और सिर्फ लगातार होती बारिश ही है. हां, कुछ पर्यावरणविद् मानते हैं कि बड़े पैमाने पर खनन, कम होते जंगल और खराब नीतियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन बस यही....
न तो बीफ, न महिलाएं, न मुस्लिम, न ईसाई और न ही बीफ खाने वाले हिंदू.
लेकिन सोशल मीडिया पर नफरत का कारोबार करने वालों से क्या कहें?
कि वो थोड़े अच्छे हो जाएं? केरल की इस मुश्किल में करोड़ों दूसरे लोगों की तरह मदद का हाथ बढ़ाएं या फिर ऐसे लोगों से ये उम्मीद कुछ ज्यादा ही है?
वीडियो: केरल में बाढ़ का कहर जारी
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