जब मैं खुर्शीद से मिली वो मुश्किल से ही हिल पा रहे थे. दिल्ली के एम्स अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में उनका इलाज चल रहा है. वो दो महीनों तक ICU में भर्ती रहे. खुर्शीद CRPF के हेड कॉन्स्टेबल हैं. 25 जून को उन पर और उनके साथियों पर आतंकियों ने हमला कर दिया था.
खुर्शीद को इस हमलें में 8 गोलियां लगी थी. यह हमला तब हुआ था जब ये जवान अपनी प्रक्टिस से वापस अपनें कैंप में लौट रहे थे. अचानक ही आतंकियों ने इनकी बस पर फायरिंग शुरू कर दी थी. जिसमें 08 CRPF जवान शहीद हो गए थे और 22 घायल हो गए थे.
43 साल के खुर्शीद पिछले 23 साल से देश की सेवा में लगे हैं. 8 गोलियां लगने के बाद भी उनका जज्बा कम नहीं हुआ है. वो अभी भी देश के लिए लड़ना चाहते हैं.
ठीक होने के बाद में ड्यूटी ज्वाइन करूंगा. इन गोलियों से नहीं डरता मैं, मैं STF में रहा हूं. मैं IG, DIG के साथ गन मैन रहा हूं. अभी तो कुछ भी नहीं है श्रीनगर में. मिलिटेंसी पहले थी, गोलियां चलती थीं पीक पर. अब क्या है. चार गोली मारी ठस ठस और भाग गएखुर्शीद अहमद, हेड कॉन्स्टेबल, CRPF
खुर्शीद को कमर और कंधो पर कई गोलियां लगीं थी, लेकिन उस दौरान उसने अपनी बंदूक नहीं छोड़ी और दुश्मनों से लड़ते रहे. खुर्शीद का गांव कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में है. उनके परिवार वाले कहते हैं कि खुर्शीद में देश के लिए लड़ने का जज्बा है और वो ठीक होने के बाद इस कायम रखेंगे.
खुर्शीद अभी ICU से बाहर हैं, लेकिन ठीक होने के लिए वो अभी भी काफी मशक्कत कर रहे हैं. उनके रीढ़ की हड्डी के घाव अभी भी नहीं भरे हैं. उनके शरीर का नीचे का हिस्सा ठीक से काम नहीं कर रहा है. डॉक्टर का कहना हैं कि उनके शरीर के अंदर गोली का कुछ हिस्सा रह गया है.
कमर के नीचे काम नहीं कर रहा है. मैं चल नहीं पा रहा हूं. डॉक्टर कहते हैं कि गोली का कुछ हिस्सा रह गया है, MRI नहीं कर पा रहे हैं. जिस कारण ऑपरेशन भी नहीं हो पा रहा है.खुर्शीद अहमद, हेड कॉन्स्टेबल, CRPF
क्या हम जितना जवानों के लिए कर रहे हैं वो काफी है?
कहते हैं देश के जवानों की सेवा की जाती है अस्पतालों में. कहते हैं ये होता है वो होता है दिल्ली में, कुछ नहीं होता है यहां. पानी के लिए भी नहीं पूछते हैं मैडम. परसो एक आदमी को बोला, मुझे बहुत प्यास लगी है, पानी दे दो. एक फार्मासिस्ट को बोला था. लेकिन वो बोला कि मेरे पास टाइम नहीं हैं.खुर्शीद अहमद, हेड कॉन्स्टेबल, CRPF
डॉक्टरों के मुताबिक हो सकता है कि खुर्शीद पूरी तरह से ठीक न हो पाए, उसके पैर काम न कर सकें. इन सब बातों से लगता है कि क्या हम अपने देश के जवानों से आंखें चुरा रहे हैं. ये थी हमारे देश की उस वीर जवान की कहानी जो सरहदों पर हमारे देश की सुरक्षा करता है, लेकिन घायल होने के बाद उसका ऐसा हाल!
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