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तभी तो बेहद खास है ‘गीता चैंपियनशिप लीग’

‘गीता चैंपियनशिप लीग’ एक परीक्षा है, जिसका आयोजन इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्‍णा कॉन्‍शसनेस (ISKCON) करवाता है.

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आपने आईपीएल का धूम-धड़ाका तो खूब देखा होगा, पर क्‍या कभी जीसीएल का नाम सुना है? दरअसल, जीसीएल का मतलब है ‘गीता चैंपियनशिप लीग’. ये एक परीक्षा है, जिसका आयोजन इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्‍णा कॉन्‍शसनेस (ISKCON) करवाता है.

जीसीएल इसलिए चर्चा में है, क्‍योंकि अब इसमें एक नया आयाम जुड़ गया है. अब भारत के अलावा ऑस्‍ट्रेलिया, मॉरिशस, केन्‍या, दक्ष‍िण अफ्रीका व अमेरिका में भी जीसीएल का आयोजन होने जा रहा है.

इस परीक्षा में आध्‍यात्‍म‍िक ग्रंथ गीता से जुड़े मल्‍टीपल चॉइस 100 सवाल पूछे जाते हैं. परीक्षा 2 ग्रुपों में होती है. पहले ग्रुप में 5वीं से लेकर 10वीं क्‍लास तक के स्‍टूडेंट शामिल होते हैं. दूसरे ग्रुप में कोई भी भाग ले सकता है.

क्‍या है जीसीएल का मकसद?

इस्‍कॉन का मानना है कि आज के दौर में इंसान टेक्‍नोलॉजी के मामले में तो खूब तरक्‍की कर रहा है, पर अध्‍यात्‍म के मामले में पिछड़ता जा रहा है. हर कोई जीवन के कष्‍टों से छुटकारा पाना चाहता है, जो कि गीता के ज्ञान के बिना मुमकिन नहीं है. इस बारे में इस्‍कॉन, दिल्‍ली के अजित गोविंद दास कहते हैं,

गीता से भगवान के बारे में जानकार लोग वास्‍तविक सुख-शांति पा सकते हैं. गीता बच्‍चों को जीवन मूल्‍यों से परिचय कराती है. जीसीएल के जरिए बच्‍चों को वैल्‍यू एजुकेशन देना ही इसका मकसद है.
अजित गोविंद दास, इस्‍कॉन दिल्‍ली

2010 से मुंबई में हुई शुरुआत

जीसीएल की शुरुआत साल 2010 से हुई थी. तब से लेकर अब तक भारत के करीब 1484 स्‍कूलों के 138,000 से ज्‍यादा स्‍टूडेंट्स इस परीक्षा में शिरकत कर चुके हैं.

खास बात यह है कि इस प्रतियोगिता में किसी भी धर्म के लोग भाग ले सकते हैं. साल 2015 में एक मुस्‍लिम स्‍टूडेंट मरियम ने चैंपियनशिप जीती थी. मरियम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सम्‍मानित किया था.

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