संसद के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन वामपंथी दलों ने ‘बढ़ती असहनशीलता’ को लेकर संसद के बाहर विरोध प्रकट किया. कहा ‘देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए ये विरोध जरूरी है’.
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