वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
भारतीय चुनाव की सबसे बड़ी बात ये है कि हर आदमी अपने आप को चुनावी पंडित समझता है और भविष्यवाणी भी करता है. लेकिन लेखक और ग्लोबल इंवेस्टर रुचिर शर्मा ऐसे शख्स हैं, जो रहते तो न्यूयॉर्क में हैं, पर हर चुनाव में वो भारत आते हैं. ग्रास रूट पर जाकर वोटर, नेता और आम जनता से बात करते हैं. रुचिर शर्मा से क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने की खास बातचीत.
रुचिर की भविष्यवाणी ज्यादातर सही होती है. हाल में कई यात्राएं करने के बाद रुचिर का मानना है कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट है विपक्षी एकता. जिस तरीके से 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद गैर-बीजेपी पार्टियां एक साथ आने लगी हैं, उससे प्रधानमंत्री मोदी के दोबारा पीएम बनने के चांस तो कम हुए ही हैं.
एक साल पहले तक ऐसा नहीं था, लेकिन आप देखिए कि कैसे गठबंधन बने हैं, विपक्ष एक साथ आता दिख रहा. गुजरात चुनाव के बाद एक के बाद एक यूपी, कर्नाटक और दूसरे राज्यों में विपक्ष एकसाथ आने लगा है. जैसे-जैसे गठबंधन में तेजी आएगी, वैसे-वैसे मोदीजी के पीएम बनने के आसार कम होंगे.रुचिर शर्मा, लेखक और ग्लोबल इंवेस्टर
पीएम मोदी के सामने कौन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कौन? वोटर इसे कैसे देखता है? इस सवाल के जवाब में रुचिर कहते हैं कि ये सवाल और बहस सिर्फ 'दिल्ली' में ही लोगों को पसंद है.
आप देखिए कि 1989 में क्या हुआ था, 2004 में क्या हुआ था. देश के राजनीतिक इतिहास ने कई ऐसे प्रधानमंत्री देखे हैं, जिनकी भविष्यवाणी किसी ने भी नहीं की थी. ऐसे में संसदीय लोकतंत्र में लीडर का तो काफी रोल होता है, लेकिन ऐसा नहीं होता कि एक ही लीडर सारा इलेक्शन कंट्रोल करे.रुचिर शर्मा, लेखक और ग्लोबल इंवेस्टर
‘सिर्फ विकास के बल पर नहीं जीत सकते चुनाव’
रुचिर शर्मा का मानना है कि देश में सिर्फ ‘विकास’ के दमपर पर चुनाव जीतना बेहद मुश्किल है. वो कहते हैं कि 6 फैक्टर हैं, जिन पर चुनाव लड़े और जीते जाते हैं.
- जाति और धर्म
- फैमिली कनेक्शन
- वेलफेयर एक्सपेंडिचर
- महंगाई की समस्या
- भ्रष्टाचार
- विकास
रुचिर का कहना है कि उनके पास कई ऐसे उदाहरण हैं कि राज्यों में ग्रोथ रेट बहुत ज्यादा होने के बाद भी सरकारों को जनता ने नकार दिया है. ऐसे में सिर्फ विकास की बात पर चुनाव जीतना भारत में मुश्किल है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)