कैमरपर्सन: मुकुल भंडारी
वीडियो एडिटर: विशाल कुमार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी है. इस बिल में यातायात कानूनों के उल्लंघन के लिए भारी जुर्माने का प्रस्ताव है. सरकार का लक्ष्य इस विधेयक के साथ अगले पांच वर्षों में सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को 50 फीसदी तक कम करना है.
इस बिल को यहां तक आते-आते लंबा वक्त गुजर गया. यह बिल 2017 में राज्यसभा में मंजूरी के लिए लंबित था, 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद ये खत्म हो गया.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 'रोड एक्सीडेंट्स इन इंडिया रिपोर्ट' के आकंड़ों के मुताबिक 2016 में भारत में कुल 4,80,652 सड़क हादसे हुए. इनमें लगभग 1.5 लाख मौतें हुईं. इन नंबरों को देखते हुए, नए मोटर वाहन संशोधन विधेयक का उद्देश्य ज्यादा कड़े जुर्मानों के साथ दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाना है.
मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के तहत 1988 के मोटर वाहन अधिनियम में कुछ अहम बदलाव किए हैं (जो अपने आप में संशोधित है). नए विधेयक के तहत अयोग्य घोषित किए जाने के बाद या नशे में गाड़ी चलाने पर जुर्माना 500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया गया है.
इसके अलावा, आपातकालीन सेवा वाहनों जैसे कि एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड सेवा या पुलिस वाहन को रास्ता नहीं देने पर 10,000 रुपये का कठोर जुर्माना लगेगा. यह प्रावधान पहले के अधिनियम में नहीं था.
वाहन मैन्युफैक्चरर्स अब कंज्यूमर्स को घटिया या दोषपूर्ण वाहनों की बिक्री नहीं कर पल्ला नहीं झाड़ सकते. विधेयक में अब ऐसे वाहनों को अनिवार्य रूप से वापस बुलाने का प्रावधान है, अगर यह सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों के के लिए खतरा साबित होता है.
मैन्युफैक्चरर्स को वाहन की पूरी कीमत के साथ खरीदारों के नुक्सान की भरपाई करनी होगी, या नए वाहन से पुराना वाहन बदलना होगा. इसके अलावा उन्हें 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी भरना होगा.
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