वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
5 अगस्त को अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram mandir) का भूमि पूजन होना है. इसको लेकर तैयारियां अंतिम चरण में हैं. अयोध्या के ही बरहटा गांव में भगवान श्रीराम (Sri Ram) की 251 मीटर की मूर्ति बननी है. 86 एकड़ जमीन अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया गया है लेकिन वहां के गांव के लोग भगवान श्रीराम की मूर्ति के लिए जमीन नहीं देना चाहते हैं.
बरहटा गांव 500 सालों से आबाद है. गांव में करीब 350 परिवार के 1500 लोग रहते हैं. सरकारी नोटिफिकेशन में उनके मकान, पेड़ और खेतों का जिक्र नहीं है.
राजा की गुलामी किए थे, तब से यहां हैं, न बंदोबस्त हुआ न कुछ. बाद में नगर निगम घोषित करके लेना चाहता है, हम सब अपना घर जमीन, सरकार को नहीं देना चाहते हैं. समाधि दे देंगे लेकिन अयोध्या छोड़ कर नहीं जाएंगेअनारा, निवासी, बरहटा
स्थानीय निवासी मुकेश यादव का भी कहना है कि हमलोग जाएंगे कहां, मूर्ति लगानी है तो कई साधु-संतों की अयोध्या में जमीन खाली पड़ी है, वहां पर लगा लें. वहां क्या दिक्कत है.
अंग्रेजों ने अयोध्या के राजा को 1857 के जंग में इस जमीन को दिया था. लेकिन धीरे-धीरे तमाम जगहों से किसान यहां आकर बसते गए. यहां की अधिकतर आबादी पिछड़े वर्ग की है.
कुछ ग्रामीणों ने अपने कागजात बनवा लिए हैं लेकिन अधिकांश किसानों के पास जमीनों के कागज नहीं हैं. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद गांववाले हाईकोर्ट गए, जिसके बाद हाईकोर्ट ने बंदोबस्ती के आदेश दिए.लेकिन वो भी नहीं हुआ. 259 भूखंडों में से 174 महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के नाम पर दर्ज है. इसलिए अगर सरकार मुआवजा भी देती है तो अधिकांश ग्रामीणों को इसका फायदा नहीं मिलने वाली है.
जो भू माफिया थे, उन्होंने उस जमीन को अपने नाम करा लिया था, जो महर्षि व्यास के ट्रस्टों से संबंधित है. वो काबिज तो नहीं हो पाए उस जमीन पर.. लेकिन अभिलेखों में उसे दर्ज करा लिया. सरकार... की वजह से किसानों का इन जमीनों पर बंदोबस्त नहीं हो पाया. नोटिफिकेशन के बाद सरकार जब इसे लेगी तो सरकार का पैसा इन गरीबों को न मिलकर ट्रस्ट को मिल जाएगा.सूर्यकांत पांडेय, सदस्य, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
इस मामले में जब अयोध्या के मेयर से क्विंट ने बात करने की कोशिश की तो उनका जवाब था कि पुनर्वास होगा लेकिन अभी इसकी ज्यादा जानकारी नहीं है.
बहुत सारे लोगों के पास कागजात नहीं होंगे. उनलोगों के आवास की व्यवस्था की जाएगी, या देखा जाएगा. बाद में बताया जाएगा. अभी हम 5 तारीख में व्यस्त हैं.ऋषिकेश उपाध्याय, मेयर, अयोध्या
यहां पर जमीनों की बंदोबस्ती की जाती है. 1984 में यहां बंदोबस्ती शुरू किया गया लेकिन कुछ वजहों से उस बंदोबस्ती को रोक दिया गया. इस गांव में प्रधान और लेखपाल भी हैं. प्रशासन ने अब गांव को नगर निगम में शामिल कर लिया है. इससे जिन गांववालों को मुआवजा मिलना होगा, वो भी आधा ही मिलेगा.
लोगों की मांग है कि हम सब का घर नहीं उजड़ना चाहिए, सरकार चाहे तो खाली जमीन में मूर्ति बैठा ले. सूर्यकांत पांडेय कहते हैं कि अगर रामलला विराजमान के आधार पर वो जमीन रामलला को मिल सकती है तो कौन से नियम के आधार पर 500 साल से आबाद जिंदा मुर्तियों को उनका मुआवजा, उनका हक, रोजी रोटी खत्म किया जा रहा है.
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