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कोरोना वॉरियर: लंगर से हजारों का पेट भर रहा बंगला साहिब गुरुद्वारा

कोरोना वायरस लॉकडाउन में दिल्ली के लोगों को खाना खिला रहा बंगला साहिब गुरुद्वारा

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कैमरा: अभिषेक रंजन

वीडियो एडिटर: पुनीत भाटिया

दिल्ली का बंगला साहिब गुरुद्वारा, कोरोना वायरस और लॉकडाउन के इन मुश्किल हालातों में हजारों लोगों का पेट भर रहा है. सिख धर्म की सीख 'सेवा' और 'किरत' पर चलकर बंगला साहिब गुरुद्वारे ने लोगों के लिए मिसाल पेश की है.

लॉकडाउन में सभी धार्मिक स्थलों को बंद करने के बाद, बंगला साहिब गुरुद्वारे ने भी सब बंद कर दिया, लेकिन किचन चालू रखा. लॉकडाउन शुरू से लेकर अब तक, दिल्ली-एनसीआर के करीब 1 लाख लोगों को गुरुद्वारे के कारण पेट भर सका.

लंगर को चलाने और खाना देने में करीब 53 'सेवक' काम करते हैं. लॉकडाउन में लोग बाहर से सेवा देने नहीं आ सकते, इसलिए ये सेवक पिछले दो महीने से रोजाना 18-18 घंटे काम कर रहे हैं. सेवकों का कहना है कि ये गुरू की मेहर है, जो उन्हें सेवा करने का मौका मिला है.

“लंगर की तैयारियां सुबह 4 बजे शुरू हो जाती हैं. जब तक लंगर लोगों तक पहुंचता है, तब तक इसे आगे बढ़ाने की तैयारी होती है.”
हरभेज सिंब, प्रभारी, गुरुद्वारा कम्युनिटी किचन

पिछले 20 सालों से लंगर का खाना बना रहे हैं बलबीर सिंह

6 दूसरे लंगरी की टीम के साथ, प्रमुख लंगरी/कुक बलबरी सिंह ने लॉकडाउन की शुरुआत में 40 हजार लोंगो के लिए खाना बनाना शुरू किया था. इसके बाद से लोग आते गए और अब तक वो करीब 1 लाख लोगों के लिए खाना बना चुके हैं.

“मैं दिल्ली में ही पैदा हुआ. इसलिए बचपन से अपने माता-पिता के साथ यहां आया. उसके बाद से ही, गुरुद्वारे के लिए, सेवा के लिए, दिल में प्यार आ गया.”
बलबीर सिंह, हेड कुक

लंगर को बनाने के लिए रोजाना 2500 किलो आटा, 1500 किलो चावल और 1000 किलो दाल लगती है. पहले, गुरुद्वारा कमेटी लंगर को अलग-अलग एनजीओ को दे रही थी, जिससे वो जमीनी स्तर पर इसे बांट सकें. लेकिन अब उन्होंने अपनी लंगर सेवा शुरू कर दी है. रोजाना बंगला साहिब गुरुद्वारे से 15 वैन जरूरतमंदों के लिए खाना लेकर निकलती हैं.

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