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बिहार: नीतीश का 'ड्रीम प्रोजेक्ट' स्वाहा, 9 साल में ऐसे बढ़ती गई डेडलाइन

Bihar Bridge Collapse: किन-किन मंत्रियों के कार्यकाल में गिरा पुल?

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बिहार (Bihar) के भागलपुर (Bhagalpur) में गंगा नदी पर बन रहा अगुवानी-सुल्तानगंज पुल (Aguwani-Sultanganj bridge) रविवार, 4 जून को ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिर (Bridge Collapse) गया. चंद सेकेंड में पुल का एक बड़ा हिस्सा नदी में समा गया. चौंकाने वाली बात ये है कि ये पुल दूसरी बार गिरा है. इससे पहले 30 अप्रैल 2022 को भी इस निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिरा था. एक तरफ नीतीश कुमार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं. वहीं दूसरी तरफ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने साफ कर दिया है कि पुल का निर्माण नए सिरे से होगा.

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चलिए आपको इस पुल की पूरी कहानी बताते हैं. इसके साथ ही बताएंगे कि कैसे 5 साल में बनने वाला पुल 9 साल में भी नहीं बन पाया?

कब और किसने किया शिलान्यास?

गंगा नदी पर बना रहा पुल प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जाता है. 3.160 किलोमीटर लंबा अगुवानी घाट- सुल्तानगंज पुल की आधारशिला 23 फरवरी, 2014 को खगड़िया जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रखी थी. 9 मार्च, 2015 को मुख्यमंत्री ने पुल निर्माण का काम शुरु करने करने के लिए उद्घाटन किया था. लेकिन 9 साल में ये पुल बनकर तैयार नहीं हो पाया.

Bihar Bridge Collapse: किन-किन मंत्रियों के कार्यकाल में गिरा पुल?

अगुवानी घाट- सुल्तानगंज पुल का सीएम नीतीश कुमार ने शिलान्यास किया था

(फोटो: क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

ये प्रोजेक्ट क्या है?

बिहार के भागलपुर जिले में सुल्तानगंज और खगड़िया जिले में अगुवानी घाट के बीच गंगा नदी पर 3.160 किलोमीटर का फोर लेन केबल स्टाइल पुल बन रहा है. ये पुल खगड़िया और भागलपुर जिले को जोड़ने के लिए बनाया जा रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुल बनने के बाद खगड़िया से भागलपुर आने के लिए 90 किलोमीटर की दूरी मात्र 30 किलोमीटर रह जाएगी. इस पुल के जरिए NH31 और NH80 को जोड़ा जाना है.

पुल की लागत कितनी है?

इस पुल की लागत 1700 करोड़ से ज्यादा है. बहरहाल, पुल निर्माण में लगातार हो रही देरी और बार-बार गिरने की वजह से अब इसकी लागत और बढ़ सकती है.

कैसे बढ़ती गई डेडलाइन?

पिछले 9 सालों में इस पुल का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है. 9 मार्च 2015 को काम शुरू हुआ था. पहले इसे मार्च 2019 में पूरा होना था. लेकिन बाद में सेकेंड डेडलाइन मार्च 2020 की गई. मगर फिर भी निर्माण कार्य पूरा होता ना देख इसकी समय सीमा बढ़ाकर मार्च 2022 कर दी गई. काम अधूरा देखते हुए एक बार फिर से इसकी समय सीमा बढ़ाई गई और इस बार जून 2022 की गई.

लेकिन इससे पहले ही 30 अप्रैल 2022 को पुल का स्ट्रक्चर गंगा नदी में समा गया. करीब 200 मीटर का हिस्सा नदी में गिर गया था. तब कहा गया था कि तूफान की वजह से ब्रिज का हिस्सा गिरा.

इसके बाद एक बार फिर पुल का निर्माण कार्य पूरा करने की समय सीमा बढ़ गई. और इसे इस साल जून तक कंप्लीट करना था. लेकिन लेट-लतीफी की वजह से ये डेडलाइन बढ़कर दिसंबर 2023 तक पहुंच गई. लेकिन इससे पहले ही 4 जून को पुल का करीब 400 मीटर का हिस्सा गिर गया.

निर्माण कंपनी के एक करीबी सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "चूंकि रविवार था, कोई निर्माण कार्य नहीं चल रहा था. मौके पर सिर्फ एक गार्ड था. सुबह करीब 11 बजे उसने देखा कि पिलर नंबर 10 और 13 के बीच की ढलाई का कुछ हिस्सा निकल रहा है. उसने कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित किया, लेकिन वे कुछ नहीं कर सकते थे क्योंकि पिलर संख्या 10, 11 और 12 के सेगमेंट गिरने लगे थे. शाम 6 बजे तक, तीनों पिलर धराशायी हो गए और इसके ऊपर के स्लैब भी गिर गए."
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किस कंपनी के पास है कॉन्ट्रैक्ट?

अगुवानी-सुल्तानगंज पुल का निर्माण हरियाणा की एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कर रही है. रविवार, 4 जून को पुल गिरने के बाद बिहार सरकार ने कंपनी को नोटिस दिया है. जबकि पथ निर्माण विभाग के एक कार्यकारी अभियंता को निलंबित कर दिया गया है.

बता दें कि बिहार में एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के पास कई प्रोजेक्ट्स हैं.

  • शेरपुर और दिघवारा के बीच गंगा नदी पर पुल

  • सोनपुर-दीघा अप्रोच रोड

  • पटना में लोहिया पथ चक्र का हड़ताली मोड़ खंड

बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, भागलपुर पुल मामले को लेकर आलोचना झेल रही एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी को कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं. 2020 में, NHAI ने कंपनी को ब्रिज श्रेणी में राष्ट्रीय राजमार्ग उत्कृष्टता पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया था. 2019 में, कंपनी को राष्ट्रीय राजमार्ग पुरस्कारों में गोल्ड अवार्ड से सम्मानित किया गया था. 2016-17 में कंपनी को लखनऊ मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से सर्वश्रेष्ठ ठेकेदार पुरस्कार और दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से प्रशंसा पुरस्कार मिला था.

किन-किन मंत्रियों के कार्यकाल में गिरा पुल?

पुल का हिस्सा गिरने के बाद से सियासत भी तेज है. एक तरफ बीजेपी इसको लेकर हमलावर है तो दूसरी तरफ आरजेडी बीजेपी पर निशाना साध रही है.

  • 30 अप्रैल 2022 को पहली बार पुल का हिस्सा गिरा था. तब बीजेपी नेता नितिन नबीन पथ निर्माण मंत्री थे.

  • 4 जून 2023 को दूसरी बार जब पुल का हिस्सा गिरा तब प्रदेश के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पास पथ निर्माण विभाग की जिम्मेदारी है.

RJD ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर आरोप लगाया है कि "जिन खराब स्पैन का निर्माण कार्य हुआ है उस दौरान 2017 से 2022 तक BJP के नंद किशोर, मंगल पांडे और नितिन नबीन मंत्री रहे है. कुछ ज्ञान नहीं रहता तो पता कर लेना चाहिए. 30 अप्रैल 2022 को आंधी से इसका एक हिस्सा गिरा था तब भी बीजेपी के नितिन नबीन ही मंत्री थे. अब बताओ?"

Bihar Bridge Collapse: किन-किन मंत्रियों के कार्यकाल में गिरा पुल?

RJD की ओर से किए गए ट्वीट का स्क्रीनशॉट

(फोटो: ट्विटर)

इसके साथ ही RJD प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने ट्वीट किया, "सारे भाजपाई मंत्री ने दलाली की मलाई खाई और बार-बार भ्रष्टाचार का पुल खड़ा किया लेकिन ये सुल्तानगंज-अगुवानी पुल खड़ा न हो सका. इस दौरान एकबार पुल ध्वस्त भी हुआ था."

Bihar Bridge Collapse: किन-किन मंत्रियों के कार्यकाल में गिरा पुल?

RJD प्रवक्ता ने साधा निशाना

(फोटो: ट्विटर)

नए सिरे से होगा पुल का निर्माण

बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री और पथ निर्माण मंत्री तेजस्वी यादव ने मंगलवार, 6 जून को कहा कि पुल का निर्माण अब नए सिरे से होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी. तेजस्वी ने बताया कि 50 के लगभग सेगमेंट हैं, इन सबों को तोड़कर नए सिरे से पुल का निर्माण होगा. इससे पहले उन्होंने कहा था कि इस पुल के निर्माण कार्य में शुरू से गड़बड़ी थी, इसके डिजाइन में समस्या थी.

वहीं सोमवार, 5 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना की जांच के आदेश दिए थे. उन्होंने कहा था कि हमने विभाग के लोगों को कहा कि देखिए और एक्शन लीजिए. ये कोई तरीका नहीं है. अभी तक ये होना जाना चाहिए. बहुत हो गया. इतनी देर क्यों हो रही है. मुझे बहुत तकलीफ हुई है. इसे ठीक से नहीं बनाया जा रहा था, इसलिए बार बार गिर जा रहा है.

बीजेपी ने मांगा इस्तीफा

बीजेपी ने इस मामले में महागठबंधन सरकार पर भ्रष्टचार का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का इस्तीफा मांगा है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने राज्य सराकर पर निशाना साधते हुए कहा कि पुल गिरने की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए चाचा-भतीजा (नीतीश-तेजस्वी) को इस्तीफा दे देना चाहिए.

वहीं नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि "अगुवानी घाट-सुल्तानगंज पुल का एक हिस्सा ही केवल गंगा नदी में नहीं समाया है, बल्कि मुख्यमंत्री जी के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति भी गंगा में समा गई है."

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