ADVERTISEMENTREMOVE AD

BJP ने जिसे आवास योजना का लाभार्थी बताया, वो विदेश में रहने वाला लेखक है

फोटो में जो इंडियन-ऑस्ट्रेलियन शख्स दिख रहे हैं उनका नाम सरू ब्रायर्ली है. ब्रायर्ली 1987 में लापता हो गए थे.

छोटा
मध्यम
बड़ा

सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की ओर से दिल्ली (Delhi) के कालकाजी में 3024 नए फ्लैट के उद्घाटन का एक ग्राफिक शेयर किया जा रहा है. इसमें पीएम मोदी की फोटो के साथ प्रोजेक्ट और एक परिवार की फोटो दिख रही है.

किसने किया है शेयर?: भारतीय जनता पार्टी (BJP) दिल्ली के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से इस ग्राफिक को शेयर कर पीएम मोदी के कार्यक्रम के बारे में बताया गया है कि पीएम इस आवास योजना का उद्घाटन कर निवासियों को चाबी देंगे.

फोटो में जो इंडियन-ऑस्ट्रेलियन शख्स दिख रहे हैं उनका नाम सरू ब्रायर्ली है. ब्रायर्ली 1987 में लापता हो गए थे.

पोस्ट का आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें

(सोर्स: स्क्रीनशॉट/ट्विटर)

(ऐसे और भी पोस्ट के आर्काइव आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.)

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस ग्राफिक में क्या है गलत?: ग्राफिक में जिस परिवार की तस्वीर इस्तेमाल की गई है वो दिल्ली का नहीं है. इसके अलावा, न तो ये तस्वीर हाल की है और न ही ये योजना के लाभार्थी को दिखाती है.

कहां की है तस्वीर?: तस्वीर एक इंडियन-ऑस्ट्रेलियन राइटर सरू ब्रायर्ली की है. ब्रायर्ली 1987 में पांच साल की उम्र में मध्य प्रदेश के खांडवा से लापता हो गए थे. साल 2012 में 25 साल बाद वो अपने परिवार से दोबारा मिले.

हमने सच का पता कैसे लगाया?: हमने ग्राफिक में दिख रहे परिवार की तस्वीर को क्रॉप करके अलग किया और उस पर रिवर्स इमेज सर्च किया. सर्च रिजल्ट में हमें DNA का 21 नवंबर 2013 का एक आर्टिकल मिला. इसमें दावे से कुछ-कुछ मिलती-जुलती तस्वीर मिली.

फोटो में जो इंडियन-ऑस्ट्रेलियन शख्स दिख रहे हैं उनका नाम सरू ब्रायर्ली है. ब्रायर्ली 1987 में लापता हो गए थे.

ये आर्टिकल 2013 का है.

(सोर्स: DNA/Altered by The Quint)

क्या कहती है रिपोर्ट?: आर्टिकल में बताया गया है कि सरू ब्रायर्ली (Saroo Brierley) नाम का एक शख्स गूगल अर्थ का इस्तेमाल कर अपने परिवार से फिर से मिला.

  • आर्टिकल के मुताबिक, ब्रायर्ली अपने भाई का इंतजार करते हुए ट्रेन में सो गए और लापता हो गए. इसके बाद, वो पश्चिम बंगाल के हावड़ा में उतरे.

  • हालांकि, उन्हें अपने एरिया के बारे कुछ-कुछ चीजें याद थीं जैसे उन्हें ये याद था कि वो किसी 'बैरमपुर' स्टेशन से गुजरे थे. ब्रायर्ली ने हावड़ा से वापस ट्रेन लाइनों का पता लगाने की कोशिश करने लगे, ताकि ये पता कर सकें कि वो आए कहां से थे.

  • यहां से क्लू लेकर, हमने ब्रायर्ली के बारे में और भी जानकारी तलाशी. हमें Hindustan Times का एक आर्टिकल मिला, जिसमें यही फोटो इस्तेमाल की गई थी.

  • आर्टिकल में बताया गया है कि 1987 में ब्रायर्ली को लापता घोषित कर दिया गया था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्या है ब्रायर्ली की स्टोरी?: हावड़ा में पुलिस जब उनके गांव का पता नहीं लगा पाई, तो उन्हें एक ऑस्ट्रेलियन दंपति ने गोद ले लिया.

  • हालांकि, जब वो बड़े हुए तो गूगल अर्थ का इस्तेमाल कर अपनी बचपन की यादों के सहारे अपने परिवार का पता लगाने लगे.

  • उन्होंने एक फेसबुक ग्रुप पर लोगों से बात की. इसके बाद वो ये पता कर पाए कि वो खांडवा के एक इलाके गणेश तलाई के रहने वाले हैं.

  • 2012 में वो मध्य प्रदेश में अपने गांव पहुंचे और अपनी मां और भाई से फिर से मिले.

  • उन्होंने जनवरी 2020 में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से यही फोटो शेयर की थी, जिसका इस्तेमाल दावे में किया गया है.

ब्रायर्ली ने अपनी जिंदगी और अनुभवों के बारे में 'अ लॉन्ग वे बैक' नाम की किताब में लिखा है. इस किताब पर 2016 में ऑस्कर नॉमिनेटेड बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म 'Lion' बनाई गई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

क्विंट ने ब्रायर्ली से भी संपर्क किया है. प्रतिक्रिया आते ही स्टोरी को अपडेट किया जाएगा.

निष्कर्ष: साफ है कि पीएम मोदी की ओर से दिल्ली स्थित EWS आवास योजना के उद्घाटन से जुड़ा जो ग्राफिक शेयर किया गया है उसमें एक इंडियन-ऑस्ट्रेलियन शख्स की पुरानी तस्वीर इस्तेमाल की गई है.

(अगर आपके पास भी ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके सच होने पर आपको शक है, तो पड़ताल के लिए हमारे वॉट्सऐप नंबर 9643651818 या फिर मेल आइडी webqoof@thequint.com पर भेजें. सच हम आपको बताएंगे. हमारी बाकी फैक्ट चेक स्टोरीज आप यहां पढ़ सकते हैं)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×