वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम
दिल्ली पुलिस ने राजधानी में लॉकडाउन के चलते शाहीन बाग में CAA के खिलाफ तीन महीने से ज्यादा समय से चल रहे प्रदर्शन को खत्म करा दिया. ऐसे में स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का कहना है कि शाहीन बाग को उठाए जाने का अफसोस न कीजिए. देश के लिए बैठे थे, देश के लिए उठ रहे हैं, देश के लिए लौट कर आएंगे.
योगेंद्र यादव कहते हैं कि वो जहां भी गये, यही कहा कि शाहीन बाग एक जगह का नाम नहीं, एक जोश और एक जज्बे का नाम है. जगह भले ही खाली हो गई हो. लोग भले ही उठ गए हों. तंबू भले ही उखाड़ दिए गए हों, लेकिन वो जोश और जज्बा कायम है. लोग उठे हैं ,गए नहीं हैं.
“तंबू भले ही उखड़ गया हो, लेकिन वो जो हमारे दिल में गड़ गया है तिरंगा, संविधान की प्रस्तावना, गांधी के साथ अंबेडकर, पटेल के साथ आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल के साथ अशफाक उल्ला खान, वो हमारे बीच रहेंगे.”योगेंद्र यादव, अध्यक्ष, स्वराज इंडिया
वो आगे कहते हैं कि हो सकता है कि आपको अफसोस हो कि मांगें तो पूरी नहीं हुईं लेकिन शाहीन बाग उठ गया. आपसे पूछता हूं कि महात्मा गांधी का नमक सत्याग्रह पूरा होने पर क्या अंग्रेजों का राज खत्म हो गया था? नहीं. नमक सत्याग्रह ने हमें समझ दी थी, संकल्प दिया, आंदोलन के नए सिपाही दिए. इसी तरह शाहीन बाग ने हमें समझ दी, साझी विरासत, साझी शहादत, साझी नागरिकता की, हमें संकल्प दिया- वो तोड़ेंगे, हम जोड़ेंगे. हमें सिपाही दिए.
किसने सोचा था कि ये औरतें बाहर आकर इस देश को बदलने में भूमिका निभाएंगी. शाहीन बाग किसी नेता के बैठाने से बैठा नहीं, किसी पार्टी के उठाने से उठा नहीं. इसलिए शाहीन बाग लौट कर आएगा. हो सकता है इस शक्ल में नहीं, हो सकता है इन कपड़ों में नहीं. इस बार हिजाब पहनकर आया था, हो सके तो अगली बार बिंदी लगाकर आए. कौन जानता है कि एक दिन लाल किले पर तिरंगा झंडा लहराने वाली कोई लड़की इसी शाहीन बाग से हो.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)