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कोरोना: बेड नहीं, नर्स नहीं, डॉक्टर नहीं, मुंबई का क्या होगा?

मुंबई के बड़े सरकारी अस्पताल के अंदर से एक डॉक्टर ने दिखाई कितनी डरावनी है हालत

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहीम

मुंबई का मेडिकल सिस्टम कोरोना के बढ़ते मरीजों को हैंडल करने में नाकाम हो रहा है. 1 जून को मुंबई में कोरोना संक्रमितों की संख्या 35 हजार पार कर चुकी है. कोरोना से जूझते हुए मुंबई को तीन महीने होने जा रहे हैं, लेकिन यहां के अस्पतालों में बेड की कमी, डॉक्टर की कमी, नर्स की कमी है

इस वक्त मुंबई को 5000 डॉक्टर, नर्स की जरूरत है. डॉक्टरों को ज्यादा सैलरी का ऑफर दिया गया है. डॉक्टरों को काम पर आने के नोटिस भी थमाए जा रहे हैं. केरल से मदद मांगी गई है, 100 नर्स और डॉक्टर वहां से आए भी हैं, लेकिन महानगर की बड़ी जरूरत के आगे ये सब कम पड़ रहे हैं. जो डॉक्टर, नर्स काम पर आ रहे हैं वो अलग मुसीबत में हैं, इसलिए नाराज हैं.

जिस KEM अस्पताल की नर्सों ने प्रदर्शन किया उनका कहना है कि स्टाफ पॉजिटिव होते जा रहे हैं, इसलिए घबराहट है. नर्स काम के घंटे कम करने की मांग कर रही हैं, क्योंकि PPE किट पहनकर आठ घंटे ड्यूटी करना मुश्किल हो रहा है. कई जगह तो मेडिकल स्टाफ इसिलए नहीं आ पा रहा, क्योंकि उसके पास न अपनी गाड़ी है, न सरकार दे रही है और न लोकल है.

एंबुलेंस की कमी का आलम ये है कि कई मरीजों की वक्त पर एंबुलेंस न मिलने से जान चली गई है. सात-आठ घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है. लॉकडाउन में कोई दूसरी गाड़ी से भी नहीं जा पा रहा. बीएमस आयुक्त का कहना है कि मुंबई में 456 एम्बुलेंस दौड़ रही हैं, लेकिन एक मरीज को ले जाने के बाद एंबुलेंस को डिसइंफेक्ट करने में ज्दाया समय लग रहा है. लेकिन करीब पौने दो करोड़ की आबादी पर 456 एंबुलेंस, कमी तो है. भारी कमी है.

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बेड की कमी को लेकर BMC के बड़े दावे हैं. BMC के नए कमिश्नर इकबाल चहल का कहना है कि 31 मई तक मुंबई के डेडीकेटेड कोरोना वायरस हॉस्पिटल और COVID-19 केयर सेंटर में कुल मिलाकर 44000 बेड्स की सुविधा जुटा ली गई है. लेकिन फिर से करीब पौने दो करोड़ की आबादी पर महज 44000 बेड्स की कमी तो है, भारी कमी है.

बेड से इलाज नहीं होता, उसके लिए डॉक्टर और नर्स भी चाहिए. हकीकत ये है कि कई आइसोलेशन सेंटर सिर्फ इसलिए नहीं चल पा रहे हैं, क्योंकि डॉक्टर नहीं हैं. मुलुंड का कोविड केयर सेंटर 15 दिन से तैयार है, लेकिन सांसद मनोज कोट के मुताबिक डॉक्टर की कमी के कारण शुरू नहीं हो सका है.

35 हजार मरीज हैं, तो मुंबई का ये हाल है. लेकिन सरकारी अनुमान है कि जून के आखिर तक मुंबई में एक लाख से ज्यादा कोरोना मरीज हो सकते हैं. जब अभी ये हाल है तो आगे क्या होगा...ऊपर से मॉनसून आ रहा है तो डेंगू, मलेरिया और फ्लू के मरीज भी बढ़ेंगे. अभी जब तस्वीर डरावनी है तो आगे क्या होगा?

नोट: इस वीडियो में भूलवश मुलुंड कोविड केयर सेंटर की जगह NCSI डोम, DCHC की तस्वीर लग गई थी, उसे हटाया गया है.

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