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UPA सरकार में मंत्री न बन राहुल गांधी ने गलती की- फडणवीस EXCLUSIVE

महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडनवीस से खास मुलाकात

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार/इरशाद आलम

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महाराष्ट्र में साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की तैयारियां जोरो पर हैं. खुद सीएम देवेंद्र फडणवीस 4 हजार किलोमीटर की ‘महाजनादेश यात्रा’ पर हैं. इसी यात्रा के दौरान क्विंट ने उनसे खास बातचीत की. इस बातचीत में फडणवीस ने आदित्य ठाकरे और मंदी से लेकर छगन भुजबल तक पर खुलकर बात की.

150 विधानसभा सीटों से गुजरने वाली इस यात्रा में सीएम फडणवीस का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर है. एक तरफ बारिश तो दूसरे तरफ सूखे की मार. जिससे गांव-गरीब और किसान बेहाल हैं. इन सबके बीच आर्थिक मंदी से उपजा रोजगार संकट भी फडणवीस के सामने बड़ी चुनौती है, ऐसे में इन तमाम चुनौतियों से निपटने का एजेंडा खुद बताने के लिए सीएम लोगों के बीच आ पहुंचे हैं.

कई बार सत्ता के विरोध में यात्रा निकाल चुके है अब सत्ता में रहकर यात्रा निकल रहे है, दोनों में क्या फर्क है?

हम विपक्ष में रहते हैं तब संघर्ष की यात्रा के जरिए लोगों के बीच जाते हैं, और जब सत्ता में होते हैं तो संवाद की यात्रा निकलते हैं. हमारी सरकार ने जो काम पिछले 5 सालो में किया, उससे लोग खुश हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि हम बड़े बहुमत के साथ फिर से सत्ता में आएंगे, लोग हमारे साथ हैं.

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नारायण राणे क्या चाहते हैं? आपकी उनसे कुछ दिनों पहले मुलाकात हुई है?

राणे साहब बीजेपी की ताकत पर ही राज्यसभा में सांसद हैं. वो बीजेपी के साथ ही हैं. राणे अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करना चाहते हैं. राणे साहब पर वरिष्ठों से बात चल रही है.  निर्णय हम जल्दी करेंगे. राणे जी को राज्यसभा भेजने के वक्त भी मैंने शिवसेना से बात की थी. इस बार भी उनसे फैसला लेते वक्त बात करूंगा. राणे हमारे साथ आएंगे तो हम मजबूत ही होंगे.

राज ठाकरे को मिले ED नोटिस और उनके बयान पर क्या कहेंगे?

राज ठाकरे बोलना बंद करें या न करें. हमें फर्क नहीं पड़ता. लोकसभा चुनाव में उन्होंने बोलकर देख लिया. इतनी बड़ी सभाएं उन्होंने कांग्रेस-एनसीपी के लिए कीं. लेकिन नतीजा क्या हुआ, लोगों को नेगेटिव चीजें पसंद नहीं आती. इस चुनाव ने साफ कर दिया, जिन्होंने मोदी जी को जो भला-बुरा कहा, लोगों ने उन्हें सिरे से नकार दिया. राज ठाकरे जी का वजूद क्या है? बताइये विधानसभा चुनाव में एक सीट थी वो भी शिवसेना में चली गयी. नासिक में हारे, ठाणे में हारे, मुंबई में हारे, कल्याण, डोम्बिवली में हारे. पार्टी कहां बची हुई है? जो साख थी वो भी लोकसभा के चुनाव में खत्म हो गई.

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आदित्य ठाकरे पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरने की तैयारी में हैं, आपकी क्या सलाह होगी?

मेरा ये हमेशा कहना होता है, जिनको लॉन्ग टर्म की राजनीति में काम करना होता है, पार्टियां चलानी होती हैं, ऐसे लोगों को अनुभव लेना चाहिए. जब मनमोहन सिंह जी पीएम थे, तब मैंने कहा था कि राहुल गांधी जी को कम से कम एक बार मंत्री के तौर पर काम करना चाहिए था. अगर उनकी पार्टी आगे चलकर उन्हें पीएम पद का उम्मीदवार बनाना चाहती है या वो पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर काम करना चाहते हैं तो मंत्री पद संभालने के कारण उन्हें पता रहता कि लोकतंत्र कैसे चलता है? संविधान उन्हें क्या अधिकार देता है? ये सब कुछ सीखने को मिलता.

इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि अगर शिवसेना आदित्य जी को कैबिनेट में भेजने का फैसला करती है तो अच्छा ही होगा. लेकिन फैसला उनकी पार्टी को करना है. मुझे आदित्य जी में एक प्रॉमिसिंग नेता दिखाई देता है.

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छगन भुजबल पर क्या राय है?

ये शिवसेना का मसला है. छगन भुजबल को अगर शिवसेना अपनी पार्टी में लेना चाहती है तो हमें कोई ऐतराज नहीं.

इंटरव्यू में देवेंद्र फडणवीस ने ये भी कहा कि अगर उनकी पार्टी दागी नेताओं के आने पर फिल्टर न लगाती तो विपक्ष की पार्टियां खाली हो जातीं. इसके साथ ही देवेंद्र ने मंदी के कारणों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि मंदी इसलिए आई है क्योंकि GST और IBC के कारण बहुत से लोगों का कारोबार बंद हो गया है.

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