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असम के युवाओं ने सांप्रदायिक राजनीति को कहा ना, क्विंट की चौपाल

जानिए- लोकसभा चुनाव 2019 में असम के लिए क्या है सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा?

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वीडियो एडिटर: वरुण शर्मा

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लोकसभा चुनाव 2019 के पहले फेज यानी 11 अप्रैल को असम वोट करेगा. इसके बाद 18 और 28 अप्रैल को दो फेज और होंगे. लेकिन इस बार असम के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या है? ये जानने के लिए क्विंट पहुंचा है असम.

MY वोट चौपाल के जरिए हम देशवासियों की आवाज को कर रहे हैं बुलंद, क्योंकि हमारा मानना है कि चुनाव सिर्फ नेताओं के लिए नहीं बल्कि उस जनता के लिए भी जरूरी है जो उन नेताओं को चुनती है.

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MY वोट चौपाल के इस एपिसोड में हमने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के लॉ स्टूडेंट्स से खास बातचीत की. यहां पता चला कि इनका सबसे बड़ा मुद्दा है नागरिकता संशोधन बिल 2016. ये बिल संसद में पास नहीं हुआ और लेप्स हो गया है.

इस बिल में पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू, पारसी, सिख, इसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देने की बात थी.

नागरिकता संशोधन बिल-2016 को लोकसभा में पेश किया गया था. हालांकि, नॉर्थ-ईस्ट में इस बिल को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध दर्ज कराया गया. कई लोग इसे धार्मिक चीजों से जुड़ा हुआ बिल समझ रहे हैं यानी हिंदू vs मुस्लिम नार्थ-इस्ट में ऐसा नहीं है यहां इसका मतलब है स्वदेशी vs मेन लैंड इंडियन तो धर्म के नाम पर वो लाखों हिंदू बांग्लादेशियों को लाकर नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में लाना चाहते हैं और इसकी वजह से कई बदलाव आएंगे.
सौरभ प्रतिम गोगोई

छात्रों का ये भी सोचना है कि स्वर्गीय डॉक्टर भूपेन हजारिका को भारत रत्न इस वक्त देना सरकार की ऐसी रणनिति का हिस्सा है जिससे उन्हें आने वाले चुनाव में फायदा हो. ताकि इससे उन लोगों को लुभाया जा सके, जो नागरिकता संशोधन बिल के थोपे जाने से सरकार से नाराज हैं.

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