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संस्थाओं के लिए शक हमेशा खतरनाक होता है-जस्टिस चेलमेश्वर

जस्टिस चेलमेश्वर बोले- हर सवाल या समस्या का समाधान महाभियोग नहीं हो सकता.

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

सुप्रीम कोर्ट जज, जस्टिस चेलमेश्वर और वरिष्ठ पत्रकार करन थापर के बीच 7 अप्रैल को न्यायपालिका से जुड़े मुद्दे पर कई अहम बातें हुईं. जस्टिस चेलमेश्वर ने इस बात पर दोबारा जोर दिया कि रिटायरमेंट के बाद वो सरकार में कोई पद नहीं लेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि न्याय सिर्फ होना ही नहीं चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए ताकि न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा बना रहे.

दिल्ली के हार्वर्ड क्लब ऑफ इंडिया में एक खास कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज से तमाम जरूरी सवाल किए गए. जैसे न्यायपालिका में पारदर्शिता, खास बेंच को केस देना, चीफ जस्टिस की शक्तियां और मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर महाभियोग के सवाल.

जस्टिस चेलमेश्वर से सवाल तो किए गए लेकिन उन्होंने कुछ मामलों पर मौन साधे रखा. जैसे शांति भूषण की सीजेआई की पावर को चुनौती देने वाली याचिका पर. इसके अलावा उन्होंने सीजेआई पर महाभियोग पर भी कुछ साफ नहीं किया. उन्होंने कहा कि महाभियोग हर सवाल का जवाब नहीं है.

उन्होंने यह भी बताया कि ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ मामले में सीजेआई ने उन्हें या कॉलेजियम के और जजों को भी जानकारी नहीं दी.

जस्टिस चेलमेश्वर उन चार वरिष्ठ जजों में से हैं, जिन्होंने जनवरी 2018में अचानक सुप्रीम कोर्ट में चल रही कुछ चीजों पर सवाल उठाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी.

रोस्टर बनाने में चीफ जस्टिस की शक्तियों पर जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा, ''बेशक, चीफ जस्टिस के पास बेंच के गठन का अधिकार रहेगा. लेकिन, एक संवैधानिक सिस्टम में हर शक्ति के साथ कुछ जिम्मेदारी भी आती हैं. सिर्फ इसलिए शक्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि आपके पास वो शक्ति मौजूद है. उसका इस्तेमाल लोगों के भले के लिए हो.''

माना जा रहा है कि प्रेस कॉन्फ्रेन्स की वजह से जस्टिस गोगोई की जगह किसी और को चीफ जस्टिस बना दिया जाएगा. इस पर जस्टिस ने कहा, ''थापरजी, मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं. उम्मीद है, ऐसा नहीं होगा. अगर, मैं दोहराता हूं, अगर ऐसा होता है. तो समझिए कि प्रेस कॉन्फ्रेन्स में हमने सब सच कहा था.

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