ADVERTISEMENTREMOVE AD

लिंचिंग के बाद क्या होता है? ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ थामता है हाथ

सिर्फ पीड़ितों के घर ही नहीं कारवां टीम ने आरोपियों के परिवार से भी मुलाकात की

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
कैमरापर्सन: अतहर राथर और आकांक्षा कुमार

कारवां-ए-मोहब्बत की पहल पर, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों की एक टीम ने मरियम खातून से मुलाकात की. मरियम, अलीमुद्दीन अंसारी की पत्नी हैं. वही अलीमुद्दीन, जिनकी जून 2017 में झारखंड में हत्या कर दी गई. उन पर बीफ ले जाने का आरोप लगाया गया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
उन्हें बस ये सुनने की जरुरत थी कि वो अकेली नहीं हैं. ये सच है कि किसी ने कुछ गलत किया है और उस वजह से वो काफी परेशानी और दुख में हैं, लेकिन ऐसे भी लोग हैं जो आगे बढ़कर उनकी मदद करना चाहते हैं.
नताशा बधवार, लेखक और कारवां टीम की सदस्य 

पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर, लेखक नताशा बधवार और वरिष्ठ पत्रकार जॉन दयाल ने मिलकर भीड़तंत्र के शिकार लोगों कोे बाकायदा मेडिकल और कानूनी सहायता मुहैया कराने के लिए ‘कारवां-ए-मोहब्बत’ मुहिम की शुरुआत की.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हर्ष मंदर ने क्विंट को बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, जहां एक पिता ने अपने बेटे को खो दिया, पुलिस ने शुरुआत में इस पूरे मामले को ढकने की कोशिश की और इसे एक दुर्घटना करार दिया. उन्होंने शव को दफना दिया. फिर कुछ लोगों ने विरोध किया तो शव को निकाला गया. वो बहुत तकलीफ में थे, कह रहे थे  'उन्होंने कब्र खोद ली और अभी तक मेरे पास उसके कागजात नहीं है, अगर वे पोस्ट-मॉर्टम रिपोर्ट दे दें, मेरा बेटा जन्नत जाएगा' इसने हमें झकझोर दिया.

सितंबर-अक्टूबर 2017 के बीच कारवां टीम ने 8 राज्यों की यात्रा की जो भीड़ की हिंसा का गवाह बने थे. कारवां के सदस्य वहां के पीड़ितों से मिलने पहुंचे, जिसने उन्हें अंदर तक हिला डाला.

असम के गोलपाड़ा में, एक मुस्लिम लड़की के पति की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई. जिसके बाद उसने पति के छोटे भाई से शादी की. उसके पति को लिंच कर दिया गया. उसने बहुत प्यार से अपने पहले पति की तस्वीर दिखाई. वो काफी गमजदा दिखी.
वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट जॉन दयाल
सिर्फ पीड़ितों के घर ही नहीं कारवां टीम ने आरोपियों के परिवार से भी मुलाकात की.
हम शंभू लाल रैगर के घर गए. उसके दूसरे सभी भाई साथ रहते हैं और उन्होंने बताया कि वो छोटा-मोटा मार्बल बिजनेस करता था, जो नोटबंदी के बाद पूरी तरह से बर्बाद हो गया. वो (शंभू लाल) अपना ज्यादातर समय वीडियो देखने में खर्च करने लगा. कई हेट क्राइम वाले वीडियो. 
हर्ष मंदर, मानवाधिकार कार्यकर्ता

कारवां ने अलवर यात्रा के दौरान जहां एक ओर कुछ असामाजिक तत्वों की ओर से पत्थरबाजी का सामना किया, वहीं अजमेर में लोगों ने उनका स्वागत फूलों के साथ किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कारवां-ए-मोहब्बत ने ऐसे कई केस देखे और उन मामलों में पीड़ितों को जरूरी मदद करने की कोशिश कर रहा है. पीड़ित परिवार सरकार से मदद का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन तब तक इस दर्द से थोड़ी राहत देने के लिए कारवां ने अपने कदम बढ़ाए हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×