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श्रीनगर ग्राउंड रिपोर्ट14: पाबंदियों के बीच पत्रकारों की मुश्किलें

जम्मू-कश्मीर के मीडिया सेंटर पर 150 पत्रकारों के लिए सिर्फ 1 टेलीफोन की सुविधा

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वीडियो एडिटर: विशाल कुमार

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आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों के चलते पत्रकारों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. श्रीनगर में मौजूद क्विंट के संवाददाता शादाब मोइज़ी ने यहां के तमाम पत्रकारों से बात की और उनसे ये जानने की कोशिश की, कि पाबंदियों के दौरान उन्हें यहां के हालातों को लेकर की गई स्टोरी को अपने दफ्तर भेजने में किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा.

बता दें, प्रशासन ने अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर 17 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट और कम्युनिकेशन लाइन बंद रखने के निर्देश दिए थे.

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पत्रकारों के लिए बनाया गया था मीडिया सेंटर

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पत्रकारों के लिए एक्टिव फोन लाइन और इंटरनेट कनेक्शन के साथ सुविधा देने की कोशिश की है ताकि वो अपनी स्टोरी फाइल कर सकें. लेकिन पत्रकारों का कहना है की मीडिया सेंटर में इंटरनेट कभी-कभी बंद हो जाता है या बहुत ही धीरे चलता है.

क्विंट ने द इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार बशारत मसूद से बात की, जो अपनी स्टोरी भेजने के लिए मीडिया सेंटर में इंटरनेट चलने का इंतजार कर रहे थे.

बशारत ने जम्मू-कश्मीर के मीडिया सेंटर की हालत बताते हुए कहा-

हमें बहुत ज्यादा मुश्किल आती है, कहीं पेनड्राइव के सहारे स्टोरी भेजनी पड़ती है, या कभी दोस्त के हाथ से लेटर भेजना पड़ता था फिर वो टाइप करता था. फेसिलिटेशन सेंटर(सुविधा केंद्र) एक अच्छी बात थी लेकिन यहां जो सुविधाएं हैं वो उस लेवल की नहीं है जिस लेवल की होनी चाहिए.
बशारत मसूद, पत्रकार, द इंडियन एक्सप्रेस  

आउटलुक इंडिया के सीनयर स्पेशल कॉरेस्पॉन्डेंट नसीर गनाई ने मीडिया सेंटर में आने वाली परेशानियों को लेकर कहा-

जब यहां पर उन्होंने मीडिया सेंटर खोला, तो सिर्फ 4 कंप्यूटर थे. इस वजह से बारी बड़ी देर में आती थी. स्टोरी मेल करने में काफी टाइम लग जाता था, इंटरनेट बहुत स्लो चलता था. कई बार मेल क्रेश हो जाता था तो हमें किसी को बुलाना पड़ता था, तो यही सिलसिला चलता रहता है. फिर हम लैपटॉप में ही स्टोरी लिख लेते थे फिर पेन ड्राइव में स्टोरी लेकर यहां लाते हैं अगर उस वक्त मेल हो जाता है तो हो जाता है.
नसीर गनाई, सीनयर स्पेशल कॉरेस्पॉन्डेंट,  आउटलुक इंडिया  
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150 पत्रकारों के लिए सिर्फ 1 टेलीफोन

नसीर गनाई ने बताया कि यहां कोई फोन कनेक्शन नहीं है, यहां सिर्फ डिपार्टमेंट का एक फोन है जिससे हम कॉल करते हैं. पत्रकारों का कहना है कि नेट कनेक्टिविटी बहुत खराब है, इंटरनेट की स्पीड 2G से भी स्लो है, जिसकी वजह से काफी वक्त लगता है.

बशारत ने बतया कि उन्हें एक स्टोरी भेजने के लिए 4 घंटे इंतजार करना पड़ा, क्योंकि इंटरनेट कनेक्शन नहीं था और जब कनेक्शन रिस्टोर हुआ तो स्पीड 2G से भी स्लो थी, बशारत को अपनी स्टोरी भेजने में 20-25 मिनट का समय लगा.

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