ADVERTISEMENTREMOVE AD

ये हैं मुल्लाजी... हिंदुओं के कुंभ को रोशन करते मुसलमान की कहानी

मुजफ्फरनगर के रहने वाले 76 साल के महमूद का ये 11वां कुंभ है. 

छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

कैमरा: अभिषेक रंजन

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'हर-हर महादेव' के नारों के बीच 'अल्लाहु अकबर' की आवाज. एक तरफ तिलक-विभूति लगाए जाप कर रहे साधु, दूसरी तरफ टोपी पहने, दुआ के लिए हाथ उठाए बैठे सफेद दाढ़ी में एक शख्स. और ये सब हो रहा था हिन्दुओं के महापर्व कुंभ में.

ये शख्स 22 साल से कुंभ को रोशन करने का काम कर रहे हैं. ऐसे तो लोग इन्हें 'मुल्ला जी लाइट वाले' के नाम से जानते हैं, लेकिन इनका असल नाम है मोहम्मद महमूद.

0

यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले 76 साल के महमूद 1986 में हरिद्वार में कुंभ के जूना अखाड़ा के साधुओं से मिले थे. तब से ही वो जूना अखाड़े की लाइटिंग का पूरा काम संभाल रहे हैं.

मुल्ला जी का 11वां कुंभ

मुल्ला जी से जब हम मिलने पहुंचे, तो वो अपनी दुकान के बाहर एक खाट पर बैठे थे. उनके चारों तरफ भगवा रंग के कपड़े पहने साधु खड़े थे और सब मुल्ला जी के साथ हंसी-मजाक कर रहे थे. जब हम उनके पास पहुंचे, तो वो बाकी खड़े साधुओं को कहते हैं, ''देखिए मेहमान आये हैं.''

मोहम्मद महमूद बताते हैं:

ये मेरा 11वां कुंभ है और इलाहाबाद में चौथा. हां, इलाहबाद का नाम प्रयागराज होने के बाद पहला कुंभ है. नासिक को छोड़कर हम लोग हर कुंभ में शामिल हुए हैं.

ये पूछने पर कि वो हिन्दुओं के इस पर्व में शामिल होते हैं, तो क्या उन्हें किसी तरह की दिक्कत होती है, मुल्ला जी हंसते हुए जवाब देते हैं:

हम सबको एक ही खुदा ने बनाया है. फिर डर कैसा? परेशानी कैसी? ये लोग मेरा परिवार ही हैं. न इनके बिना मैं चल सकता हूं, न ये मेरे बिना. मैं दुनिया की नहीं, अपने अल्लाह की फिक्र करता हूं. किसी से नफरत करूंगा, तो ऊपर वाले को क्या जवाब दूंगा. यहां सब अच्छे हैं.

मुल्ला जी बताते हैं कि उनके पास कुल 12 लोग हैं, जिनमें 6 हिंदू और 6 मुसलमान, लेकिन कभी कोई भेदभाव नहीं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'देश में धर्म के नाम पर राजनीति सही नहीं'

मुल्ला जी से जब हमने पूछा कि देश में हिंदू-मुसलमान को लड़ाने की, एक-दूसरे से नफरत कराने की बातें होती हैं, इस पर आप क्या कहेंगे? मुल्ला जी ने तपाक से कहा, “नफरत फैलाने वाले नफरत फैलाएंगे, हम मोहब्बत वाले हैं. आप यहां खड़े साधुओं से पूछ लीजिए कि हमारे बीच कैसे रिश्ते हैं. यहां महात्मा-साधु गुस्सा तो दिखाते हैं. अगर किसी ने गाली दी, तो मैं कहता हूं लो मेरी झोली में डाल दो. अपना मन हल्का कर लिया, तो क्या दिक्कत है? चाहे कोई कितना भी गुस्सा करे, लेकिन उसे हम हंसाकर भेजेंगे.”

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×