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महाराष्ट्र: कुर्सी तो मिल गई, किसानों को राहत कब देंगे?

महाराष्ट्र में किसानों के लिए सरकार और विपक्ष को कितनी चिंता?  

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज

तीन पार्टियों की महा विकास अघाड़ी सरकार को सत्ता में आए 20 दिन से ज्यादा हो गये. 5 से ज्यादा कैबिनेट की बैठक हो गई लेकिन सरकार अब तक फास्ट लोकल पर ही सवार हो सकी है ? इसलिए सवाल उठ रहे है कि क्यों महाराष्ट्र के सत्ता नाटक के वक्त किसानों को हुए नुकसान पर शिवसेना, NCP और कांग्रेस तीनों ही पार्टियां इतनी मुखर थीं, और आज इसपर उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. एक नजर डालते हैं कि तीनों पार्टियों के नेताओ ने क्या-क्या कहा था?

शिवसेना अध्यक्ष और मौजूदा सीएम उद्धव ठाकरे ने राज्य के कई इलाकों में बेमौसम बारिश की वजह से हुए नुकसान का जाएगा लिया और नुकसान भरपाई के तौर पर 25 हजार रुपये हेक्टर मदद देने की मांग की थी, उद्धव ही नहीं NCP प्रमुख शरद पवार ने पीएम मोदी से किसानों के मुद्दे पर मुलाकात की और गंभीरता से अवगत कराते हुए बिना देरी किए मदद करने की मांग की.

कांग्रेस ने चुनाव के पहले अपने घोषणापत्र में जनता और किसानों से वादा किया था कि सरकार बनी तो तुरंत प्रभाव से किसानों का कर्ज माफ करेगी. लेकिन किसानों को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.

विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार पर लगातार हमला कर रही है, लेकिन सरकार का कहना है कि जो विपक्ष सरकार को किसानों की याद दिला रही है वो जब सरकार में थी, तब उन्होंने क्या किया?

किसानों के मुद्दे पर मंगलवार को विधानसभा का कामकाज दिनभर के लिए स्थगित करना पड़ा. वहीं विपक्ष का कहना है कि अनैसर्गिक सरकार होने की वजह से कई फैसले लेने में दिक्कत आएगी, इसका पहला उदाहरण है कि केंद्र सरकार ने जो CAA कानून पास किया है, उसे महाराष्ट्र में लागू करने को लेकर कांग्रेस विरोध कर रही है.

अशोक चव्हाण ने सदन में कहा कि सीएम इस पर फैसला ले लेकिन उद्धव ठाकरे के लिए ये फैसला करना इतना आसान नहीं है. शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे खुद घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के पक्ष में बोल चुके हैं. वहीं सावरकर का मुद्दा भी शिवसेना के लिए गले की हड्डी बना हुआ है.

BJP नेता सुधीर मुंगनटीवार ने कहां की कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वचन दिया था की सरकार आई तो बेरोजगार युवाओं को 5 हजार रुपये महीना भत्ता दिया जाएगा. लड़कियों को लैप्टॉप देने का भी वादा था लेकिन राज्यपाल के अभिभाषण, जिसे सरकार की दिशा के तौर पर देखा जाता है, उसमें इसका जिक्र तक नहीं है.

हालांकि सरकार का कहना है विपक्ष में बैठी बीजेपी फ्रस्ट्रेट है. उनकी सत्ता जाने का दुख समझा जा सकता है.

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