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जबरन राष्ट्रगान-पिटाई-कस्टडी-मौत, फैजान की मां ने सुनाई पूरी कहानी

एक वायरल वीडियो में कुछ पुलिस वाले फैजान समेत कुछ लोगों की पिटाई कर रहे थे.

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम/पूर्णेंदु प्रीतम

कैमरा: शिव कुमार मौर्य

‘वो किसी प्रदर्शन में नहीं गया, बल्कि उसने मुझे डांटा भी कि मैं प्रदर्शन में हिस्सा क्यों ले रही हूं, क्यों जा कर बैठ रही हूं’

ये शब्द 23 साल के फैजान की मां के हैं.

एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ पुलिस वाले फैजान समेत कुछ लोगों की पिटाई कर रहे थे और उनसे 'जन गन मन' गाने को कह रहे थे.

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24 फरवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा फैलती जा रही थी, इसी बीच ये वीडियो सामने आया. फैजान कर्दमपुरी के रहने वाले हैं, जिनकी 26 फरवरी को हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

क्विंट ने उसके परिवार से बात कर ये जानने की कोशिश की कि असल में हुआ क्या था और कैसे फैजान की जान गई.

उनकी मां किस्मतुन बताती हैं कि 24 फरवरी को तनाव बढ़ते देख फैजान बाबरपुर मेट्रो स्टेशन गया था ताकि वो उन्हें वापस घर ला सके, लेकिन न ही किस्मतुन और न ही फैजान एक दूसरे को ढूंढ पाए. घर आने के बाद किस्मतुन हर जगह फैजान को ढूंढने निकलीं.

वो मुझे ढूंढते हुए वहीं फंस गया होगा. जब वो मुझे ढूंढ रहा होगा तब उसे किसी ने मारा होगा. करीब रात 8 बजे मुझे किसी ने बताया कि फैजान GTB अस्पताल में है, लेकिन हम उसे वहां भी नहीं ढूंढ पाए.
किस्मतुन, फैजान की मां

देर रात को किस्मतुन और परिवार के बाकी सदस्य ज्योति नगर पुलिस थाने पहुंचे. किस्मतुन का कहना है कि उन्हें पुलिस वालों ने बताया था कि उनका फैजान जेल में बंद है, किस्मतुन ने पुलिस से कई बार कहा कि उनका बेटा बेकसूर है, लेकिन पुलिस ने किस्मतुन को मिलने तक नहीं दिया.

रात को करीब 11 बजे वो घर आ गईं. मां को उम्मीद थी कि पुलिस फैजान को सुबह 8 बजे छोड़ देगी. किस्मतुन बताती हैं- ‘जब मैंने उनसे कहा कि मुझे मिलने दीजिये तो उन्होंने बदतमीजी की और मुझे जेल में डालने की धमकी दी’

किस्मतुन के मुताबिक उस रात को 11 बजे उन्हें पता चला कि जो लोग जेल में है, पुलिस उनके परिवार को बुला रही है ताकि उन्हें घर भेजा जा सके. किस्मतुन का दावा है कि जब वो पुलिस थाने पहुंची तो उन्हें कोई रसीद या दस्तावेज नहीं दिया गया, जिससे ये साबित हो सके कि उनका बेटा जेल में था.

उन्होंने फैजान को छोड़ने से पहले 3 स्लिप बनाई, लेकिन हमें उसकी एक भी फोटोकॉपी नहीं दी. उन्होंने हमें कोई दस्तावेज या कागज नहीं दिया, जिससे ये साबित हो सके कि फैजान को जेल में रखा गया था.
किस्मतुन, फैजान की मां

वो फैजान लेकर घर आ गईं. फैजान का पूरा शरीर सूजा हुआ था. वो बताती हैं- 'उसे इतनी चोट लगी थी कि कपड़े कैंची से काटने पड़े. उन्होंने (पुलिसवालों) उसे इतना मारा था कि उसके सिर पर गहरी चोट आई थी. उसके हाथों पर निशान थे. शरीर में कई जगह नीला निशान पड़ गया था'

दूसरे दिन फैजान को किस्मतुन एनएनजेपी अस्पताल लेकर गयीं और रात को करीब 11 बजे फैजान ने दम तोड़ दिया. क्विंट के पास फैजान के डेथ सर्टिफिकेट की कॉपी है, जिसमें लिखा है कि फैजान को 26 फरवरी को अस्पताल लाया गया और देर रात उसकी मौत हो गई.

फिलहाल फैजान के परिवार को दिल्ली सरकार की तरफ से 1 लाख रुपये का मुआवजा मिला है. सरकार में हमारे कुछ सूत्रों ने बताया है कि ऐसे केस में पहले पहचान की जाएगी, उसके बाद बचे हुए 9 लाख दिए जाएंगे. जो सीधे परिवार के बैंक अकाउंट में डाले जाएंगे. 

पुलिस उन युवाओं की पिटाई से इनकार कर रही है, वहीं जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस आलोक कुमार का कहना है कि 'जो लोग घायल थे, उन्हें जब अस्पताल ले जाया गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें भीड़ ने मारा है. मामले में कई अनजान लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की जा चुकी है. जिन पुलिसकर्मियों ने उनसे राष्ट्रगान गाने को कहा था, उनके खिलाफ डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी भी शुरू की जा चुकी है. अभी उनकी पहचान नहीं हो पाई है क्योंकि उनके चेहरे वीडियो में नहीं दिख रहे है.'

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