ADVERTISEMENTREMOVE AD

मोदी जी, बचाओ!

बेटी बचाओ.

छोटा
मध्यम
बड़ा

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ!

ADVERTISEMENTREMOVE AD

100 करोड़ रुपये का शुरुआती फंड और लड़की को शिक्षित करने और सशक्त बनाने के लिए जागरूकता फैलाने का संकल्प... इसी के साथ नरेंद्र मोदी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' सामाजिक अभियान को शुरू किया था. 3 साल के भीतर, इस स्‍लोगन का इस्तेमाल प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने कई बार किया, लेकिन आज हमारी बच्चियां कहां हैं?

शायद 'बेटी बचाओ' का मतलब बार-बार दोहराने की वजह से खो गया है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में बलात्कार के मामलों में 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, यानी योजना शुरू होने के एक साल बाद ही ये हाल रहा.

शायद 'बेटी बचाओ' का मतलब सिर्फ भ्रूण हत्या को रोकने तक सिमट गया है. लेकिन इस मामले में भी हमने इसे ठीक से नहीं अपनाया. एनसीआरबी आंकड़ों से पता चला है कि 2014 से 2015 तक महिला भ्रूण हत्या में सिर्फ 10 प्रतिशत की गिरावट आई.

शायद 'बेटी बचाओ' का हमेशा से मतलब था कि सिर्फ कुछ बेटियों को बचाया जा सकता है, इसमें वो बेटियां कभी शामिल नहीं की गईं, जिनका धर्म ‘गलत’ था. कठुआ रेप केस को देखें, जहां प्रधानमंत्री मोदी की पार्टी के नेता हिंदू एकता मंच के जरिए बलात्कार आरोपियों के समर्थन में उतरे थे.

शायद 'बेटी बचाओ' का मतलब सिर्फ इतना है कि हमारी बेटियों को तब तक बचाया जा सकता है, जब तक कि उनके अपराधी कोई विधायक न हों. उन्नाव की घटना इसका उदाहरण है, जिसमें पीड़िता को केस दर्ज कराने में कितना समय लग गया और साथ ही पिता को भी खोना पड़ा.

बेटी बचाओ’, इस नारे को अब हम तभी गंभीरता से लेंगे, जब ये नारा सरकार को शर्मनाक चुप्पी तोड़ने के लिए मजबूर करेगा.

अब हमारे पास 'बेटी बचाओ' ..सिर्फ ये ही दो शब्द रह गए हैं, जिससे हम सरकार को बार-बार बेशर्मी से इस बारे में किए गए वादे तोड़े जाने की याद दिला सकें.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×