पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की रैली 25 अक्टूबर को प्रस्तावित है. इसके लिए राजातालाब के मेहदीगंज के कल्लीपुर गांव को चुना गया है. कार्यक्रम स्थल लगभग 40 बीघा जमीन पर बनाया जा रहा है. इसके लिए किसानों की धान की फसल काटनी पड़ी है, हालांकि किसान इसके मुआवजे से संतुष्ट नहीं हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पीएम की रैली के लिए किसानों की अधपकी फसल को प्रशासन द्वारा हार्वेस्टर लगाकर कटवाया गया है. वाराणसी प्रशासन ने फसल कटवाकर किसानों के घर भी भिजवाया है. विरोध करने पर किसानों को एमएसपी के हिसाब से भुगतान किया जा रहा है.
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा है कि सभी किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. जो अफवाह फैलाएगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी.
वहीं सभा स्थल के 108 जमीन मालिकों के 400 से अधिक परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. एसडीएम राजातालाब सिद्धार्थ यादव के माध्यम से 14 किसानों को चेक दिया गया है. अन्य किसानों को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया जाएगा. इसके लिए किसानों के आधारकार्ड और पासबुक लिए गए हैं ताकि मुवावजे की राशि आसानी से स्थानांतरित किया जा सके.
पीएम की सभा में लगभग एक लाख लोगों के जुटने का अनुमान है. यहां से प्रधानमंत्री रिंग रोड समेत तीन दर्जन से अधिक योजनाओं की सौगात काशीवासियों को देंगे. लाखों की भीड़ जुटाने के लिए 8.745 हेक्टेयर (40 बीघा) जमीन को समतल कराया जा रहा है.
किसान कर रहे हैं भुगतान का विरोध
राजातालाब के मेहंदीगंज के किसान जहां प्रधानमंत्री के आगमन से हर्षित हैं तो दूसरी तरफ उनकी जमीन पर खड़ी अधपकी फसल का उचित मूल्य न मिलने से आक्रोशित भी हैं.
किसान दया पटेल और पुनवासी पटेल का आरोप है कि सबसे ज्यादा जमीन उन्हीं की गई है. हर साल 16 से 18 कुंतल धान इस जमीन पर उगाते हैं लेकिन प्रशासन ने 10 कुंटल बीघा के हिसाब से भुगतान किया है. कहा कि 6 से 8 कुंटल का नुकसान कौन झेलेगा.
वहीं हार्वेस्टर से फसल काटने से पुआल भी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा नुकसान तो जमीन को है जिसे कार्यक्रम के लिए समतल किया जा रहा है. अगले 4 से 5 वर्ष तक फसल ठीक से नहीं उगाई जा सकेगी.
वहीं किसान और सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार पटेल ने कहा कि राजातालाब और खजूरी में पीएम की सभा पहले भी हुई है. वहां आज भी फसल नहीं उग रही. किसानों को मुआवजा भी नहीं मिला। इसका किसानों ने विरोध भी किया था.
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