ADVERTISEMENTREMOVE AD

राज ठाकरे का ‘भगवा रंग’, महाराष्ट्र में चल क्या रहा है?

शिवसेना के साथ बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद क्या बीजेपी और एमएनएस महाराष्ट्र में साथ आ सकते हैं

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: पूर्णेंदु प्रीतम

राजनीति में कोई किसी का परमानेंट दोस्त या दुश्मन नहीं होता. शिवसेना के बाद लगता है यह कहावत राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के लिए भी सही साबित हो रही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मुंबई की सड़कों पर 23 जनवरी को होने वाले MNS महा अधिवेशन से पहले लगे होर्डिंग्स कुछ ऐसा ही इशारा कर रहे हैं.

शिवसेना भवन के सामने भगवे रंग में लगे ये होर्डिंग्स राज ठाकरे के हैं , जिनमें मराठी में लिखा है सत्ता के लिए सत्रासो साठ लेकिन महाराष्ट्र धर्म के लिए एक ही सम्राट". यानी सत्ता पाने के लिए कई लोग साथ आ गए लेकिन महाराष्ट्र धर्म निभाने के लिए एक ही है... यानि कि राज ठाकरे.. इस होर्डिंग की सबसे ज्यादा खास बात है भगवा रंग . इस होर्डिंग को देखकर सवाल उठ रहे हैं महाराष्ट्र में जिस तरह के राजनीतिक हालात पैदा हुए हैं और जिस तरह से शिवसेना ने हिंदुत्व के मुद्दे पर रुख नरम किया है, उसमें राज ठाकरे क्या नई संभावना तलाश रहे हैं?

दरअसल कुछ दिनों पहले राज ठाकरे और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के बीच मुलाकात की खबरें भी चुकी हैं . इतना ही नहीं नासिक महानगर पालिका के मेयर पद के चुनाव में भी एमएनएस और बीजेपी के पक्ष में वोट डालने के लिए पार्टी व्हिप जारी किया था. पालघर जिला परिषद चुनाव में भी राज ठाकरे और मोदी एक होर्डिंग पर नजर आ चुके हैं . 

एमएनएस साथ आई तो बीजेपी को फायदा होगा या घाटा?

शिवसेना के साथ बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद क्या बीजेपी और एमएनएस महाराष्ट्र में साथ आ सकते हैं. क्या बीजेपी उस राज ठाकरे से हाथ मिलाएगी जिन्होंने लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह को राजनीतिक पटल से हटाने की बात कही थी . उत्तर भारतीयों को लेकर राज ठाकरे की भूमिका किसी से छिपी नहीं है .

मुंबई में उत्तर भारतीय बड़ी संख्या में हैं, जो कई सीटों पर राजनितिक गणित बदलने में अहम भूमिका निभाते हैं. मुंबई में उत्तर भारतीय इस वक्त बीजेुपी के साथ नजर आते हैं लेकिन अगर बीजेपी ने राज ठाकरे से हाथ मिलाया तो तो क्या ये वोट बैंक उसके साथ रहेगा. और अगर ये सब कुछ 2022 में होने वाले बीएमसी चुनाव के लिए हो रहा है तो बीजेपी को भी ये याद रखना चाहिए कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी 2022 में ही है. ऐसे में एमएनएस से हाथ मिलाना उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में भी कही भारी ना पड़ जाए .

बीजेपी से हाथ मिलाना राज ठाकरे के लिए भी चुनौती

2014 में मोदी में मोदी के फैन रह चुके राज ठाकरे 2019 में उनके धुर विरोधी बन गए. तो क्या राज ठाकरे केवल हिंदुत्व की खातिर मोदी और बीजेपी को लेकर अपने पुराने रुख को बदल देंगे . इसके जवाब के लिए हमें 23 जनवरी का इंतजार रहेगा जब ठाकरे अपने कार्यकर्ता को नया मंत्र देंगे .

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×