वीडियो एडिटर- पूर्णेंदु प्रीतम
एक तरफ दलित आंदोलन की चिंगारी भड़की है. बहस छिड़ी है. सुप्रीम कोर्ट में SC-ST एक्ट पर रिव्यू पिटीशन दाखिल होती है, फिर फिलहाल के लिए खारिज हो जाती है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 8 ट्वीट भी कर डालते हैं ये दिखाते हुए कि वो दलित भाई-बहनों के साथ हैं. लेकिन इस सबके बीच जब क्विंट बीजेपी के दलित सांसद डॉ. उदित राज से बात करता है सारा दर्द बाहर निकल आता है.
‘रोहित वेमुला से शुरुआत’
2 अप्रैल को जब भारत बंद के दौरान लाखों लोग सड़कों पर उमड़ आए तो लगा सरकारों को इस स्तर के दलित आंदोलन की भनक तक नहीं थी. बीजेपी सांसद ने इस मुद्दे पर क्विंट से खास बातचीत में माना कि आंदोलन तो कई दिनों से सुलग रहा था. उन्होंने कहा:
मामला रोहित वेमुला की घटना से बिगड़ा. उसके बाद लगातार ऊना, सहारनपुर, कोरेगांव, मूंछ काटने की घटना, दलितों को घोड़ी न चढ़ने देने की बात जैसी कई वजह हैं. SC-ST एक्ट तो चिंगारी बन गया, गुस्सा पहले से ही भरा हुआ था.डॉ. उदित राज, बीजेपी सांसद
‘हमारी बात तो सुनी नहीं जाती’
बीजेपी के नेता कई मौकों पर कहते हैं कि पार्टी के भीतर सबसे ज्यादा दलित सांसद हैं लेकिन फिर भी संवाद के स्तर पर ये बात दिखाई नहीं देती. खुद उदित राज ने क्विंट को बताया,
“ 4 साल से तो मुझसे कुछ पूछा नहीं गया. मैं खुद जरूर बताता रहा था कि दलित गुस्से में हो रहे हैं.कोई कुछ पूछे तो बताऊं. वो व्यस्त रहे होंगे. किसी ने पूछा नहीं तो किसको बताएं, कहां बताएं, कैसे बताएं. एक दलित प्रतिनिधि के तौर पर 20 साल इनके बीच रहा लेकिन कभी पूछा नहीं गया.”
‘दलित युवाओं की आवाज सुनना जरूरी’
भारत बंद आंदोलन के दौरान दलित युवाओं की मौजूदगी खासी संख्या में देखी गई. तकनीक के नए साधन अपनाकर इस आंदोलन को हवा भी युवाओं ने ही दी थी. बीजेपी का दलित चेहरा, उदित राज मानते हैं कि युवाओं की अनदेखी करना सरकारों को भारी पड़ सकता है. युवाओं के मुद्दों को तरजीह दिया जाना जरूरी है.
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