वीडियो प्रोड्यूसर: सोनल गुप्ता
वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम
कैमरा: नितिन चोपड़ा
माना जा रहा था कि इस चुनाव में उत्तर प्रदेश सिर्फ दो तरफा लड़ाई बनकर रह गया है. लेकिन प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में अपना चेहरा बनाकर कांग्रेस ने ये साबित कर दिया कि उसे किसी भी हिसाब से हल्के में नहीं लिया जा सकता है. प्रियंका गांधी के मैदान में उतरते ही कई लोगों ने कहा कि कांग्रेस वोट कटवा पार्टी बनकर रह जाएगी और बीजेपी को फायदा पहुंचाएगी. लेकिन क्या जमीन पर ऐसा ही हो रहा है? शायद नहीं.
बल्कि ये कहना ज्यादा सही होगा कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और महागठबंधन खास तौर पर समाजवादी पार्टी के बीच एक अनकही दोस्ती है.
जब कांग्रेस ने प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी का प्रभार दिया तो साथ ही ये फैसला भी किया गया कि पार्टी अपने 70% रिसोर्स को 30 से कम सीटों पर लगाएगी और बाकी 50 सीटों के लिए सिर्फ 30% रिसोर्स रखेगी, इसका मतलब ये है कि 50 से अधिक सीटों पर कांग्रेस महागठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचाएगी, पर जमीन पर इसका क्या मतलब हुआ?
ये जानने के लिए कांग्रेस के उम्मीदवारों को 3 कैटेगरी में बांट देते हैं
- कमजोर उम्मीदवार
- मुस्लिम उम्मीदवार
- मजबूत हिंदू उम्मीदवार
कमजोर उम्मीदवार
अगर आप इस मैप पर नजर डालें तो ये जो हरे रंग की लहर दिख रही है. ये उन सीटों को दिखाती है जहां कांग्रेस कमजोर उम्मीदवार को उतारकर महागठबंधन की मदद कर रही है. इनमें वो सीट भी शामिल हैं, जहां कांग्रेस ने दोस्ती के नाते महागठबंधन के लिए खाली छोड़ दी हैं.
जैसे
- मुलायम सिंह यादव की सीट मैनपुरी
- अखिलेश यादव की सीट आजमगढ़
- कन्नौज, जहां डिंपल यादव खड़ी हुई हैं
- अजीत सिंह की सीट मुजफ्फरनगर
- बागपत से अजीत सिंह के बेटे जयंत चौधरी
लेकिन कांग्रेस और महागठबंधन की दोस्ती सिर्फ इन सीटों तक सीमित नहीं है. अगर हम मेरठ को देखें तो वहां कांग्रेस ने हरेंद्र अग्रवाल को उतारा है जो BJP उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल की तरह वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं. इससे महागठबंधन के हाजी मोहम्मद याकूब का काम आसान हो गया है.
इसके बाद चलते हैं रामपुर, यहां तकरीबन 50% मुस्लिम आबादी होने के बावजूद कांग्रेस ने एक खत्री उम्मीदवार संजय कपूर को टिकट दिया है. जिससे SP दिग्गज आजम खान को फायदा पहुंच रहा है. इसी तरह से अमरोहा, संभल, कैराना, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में महागठबंधन की मदद कर रही है.
56 सीटों पर कांग्रेस ने या तो कमजोर उम्मीदवार उतारे हैं या वो सीटें खाली छोड़ दी है पर ये ‘अघोषित गठबंधन’ सब सीटों पर नहीं है.
मुस्लिम उम्मीदवार
9 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है. जाहिर है, इससे मुस्लिम कंसोलिडेशन की उम्मीद रखने वाले महागठबंधन को नुकसान पहुंचेगा. दिलचस्प बात ये है कि इन 9 सीटों में 6 सीटों पर कांग्रेस BSP को नुकसान पहुंचा रही है. बिजनौर सीट में कांग्रेस ने मायावती के पुराने सहयोगी नसीरुद्दीन सिद्दीकी को टिकट दिया है.
जो BSP उम्मीदवार मलूक सिंह नागर का वोट काट रहे हैं. इसी तरह सहारनपुर में लड़ाई कांग्रेस के इमरान मसूद BSP के फजलुर्रहमान और बीजेपी के राघव लखनपाल के बीच है.
इसके अलावा कांग्रेस ने BSP के खिलाफ फर्रुखाबाद, सीतापुर, संत कबीर नगर और देवरिया में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं.
मजबूत हिंदू उम्मीदवार
आप सोच रहे होंगे कि इससे क्या फर्क पड़ता है कि कांग्रेस हिंदू को टिकट दे या मुस्लिम को अगर कांग्रेस मुस्लिम को टिकट देती है तो उससे नुकसान सिर्फ महागठबंधन को होगा लेकिन अगर कांग्रेस मजबूत हिंदू उम्मीदवार खड़ा करती है. तो उससे BJP के वोट भी कट सकते हैं. 15 सीटें ऐसी हैं जहां कांग्रेस ने मजबूत हिंदू उम्मीदवार उतारे हैं.
इनमें कई सीटों पर महागठबंधन खासतौर पर SP कांग्रेस की मदद कर रही है मिसाल के तौर पर कानपुर, उन्नाव, और कुशीनगर में SP ने कमजोर उम्मीदवारों को टिकट दिया है,जिससे फायदा पहुंच रहा है कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को जैसे:
- श्रीप्रकाश जयसवाल
- अनु टंडन और
- आरपीएन सिंह
SP ने किसी भी मजबूत कांग्रेस नेता के खिलाफ मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है. अगर इसे एक ‘अघोषित गठबंधन’ न कहें तो फिर क्या कहें? लेकिन BSP ने इस तरह कांग्रेस की तरफ कोई दिलेरी नहीं दिखाई उन्होंने कांग्रेस के जितेंद्र प्रसाद के खिलाफ धौरहरा में एक मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार अरशद अहमद सिद्दीकी को टिकट दिया है.
द बिग पिक्चर: यूपी में 4 ट्रेंड नजर आ रहे हैं
- 50 से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस महागठबंधन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही है
- कांग्रेस का, SP और RLD से बेहतर ताल-मेल है. कांग्रेस और SP कई सीटों पर एक दूसरे की मदद करते नजर आ रहे हैं
- कुछ सीटों पर कांग्रेस की BSP से खींचतान है
- अगर वाकई महागठबंधन और कांग्रेस के बीच एक अनौपचारिक गठबंधन है तो ये BJP के लिए काफी बुरी खबर है. इससे BJP की सीटों में काफी भारी गिरावट आ सकती है
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)